किशोरों की बारी

ऐसे वक्त में जब चिकित्सा विशेषज्ञ लगातार कहते रहे हैं कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का खतरा बच्चों के लिये अधिक होगा, डीएनए आधारित जायडस कैडिला के तीन खुराक वाले टीके जाइकोव-डी को आपातकालीन उपयोग के लिये भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की अनुमति मिलना सुखद ही है।

हमारी कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई और घरेलू दवा उद्योग के लिये भी यह बड़ी उपलब्धि है। दरअसल, यह टीका बारह साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिये है। ऐसे वक्त में जब देश के विभिन्न राज्यों में बच्चों के स्कूल-कालेज खुल रहे हैं, किशोरों के लिये टीके का उपलब्ध होना भरोसा जगाने वाला ही कहा जायेगा।

जाहिर-सी बात है कि जब बच्चे स्कूल-कालेज के लिये निकलेंगे तो उनका भीड़ के संपर्क में आना तय होगा। ऐसे में तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच इस टीके का अक्तूबर में उपयोग के लिये उपलब्ध होना सुरक्षा का अहसास कराता है।

दरअसल, देश में वयस्कों के लिये तो तीन टीके कोवैक्सीन, कोविशील्ड व स्पूतनिक थे, लेकिन किशोरों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं था। निस्संदेह देश के महत्वाकांक्षी टीकाकरण अभियान को इस नये टीके के आने से गति मिलेगी। विशेष बात यह भी है कि तीन खुराक के रूप में दिया जाने वाला यह टीका सुई के जरिये नहीं लगेगा।

कई बच्चों में सुई से टीका लगाने को लेकर भय रहता है जो टीकाकरण से बचने की कोशिश करते हैं। वैसे यह टीका किशोरों के साथ बड़ों को भी दिया जा सकता है। अच्छी बात यह भी है कि टीके ट्रायल परीक्षणों में तीसरे चरण के बाद टीके की 66.6 फीसदी प्रभावकारिता पायी गई है।

उम्मीद है कि निकट भविष्य में दो खुराक वाला टीका भी आएगा। ऐसे वक्त में जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक दिन में नब्बे लाख टीके लगाने का लक्ष्य रखा है, दूसरे स्वदेशी टीके के आने से उसे निश्चित रूप से गति मिलेगी। अच्छी बात यह भी है कि टीका जिस तापमान में संगृहीत किया जाना है, वह भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल है।

दरअसल, विकासशील देशों में टीकाकरण की जो गति है, उसके मुकाबले हम बेहतर स्थिति में हैं। दुनिया में एक-चौथाई आबादी को टीकाकरण के बावजूद गरीब मुल्कों में टीकाकरण की स्थिति महज 0.6 फीसदी है। जबकि पचास फीसदी लोग अमीर देशों के हैं।

निस्संदेह यह स्थिति कोरोना संक्रमण के खिलाफ हमारी वैश्विक लड़ाई को कमजोर करती है। बहरहाल, तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच इस नये टीके के आने से भारतीय अभिभावकों की चिंता कुछ कम हुई है। हालांकि, इस बात का कोई प्रामाणिक आधार नहीं है कि तीसरी लहर का ज्यादा असर बच्चों पर ही होगा, लेकिन लोगों में यह आम धारणा बन गई है।

यद्यपि सीरो सर्वे बता रहा है कि संक्रमण की दूसरी लहर में बच्चे भी बड़ी संख्या में संक्रमण का शिकार बने हैं। लेकिन पहले चिंता ज्यादा थी क्योंकि बच्चों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं था। जाइकोव-डी आने से हम बच्चों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हो पायेंगे। कंपनी का दावा है कि वह सालाना तौर पर दस से बारह करोड़ डोज का उत्पादन कर सकेगी।

बताया जा रहा है कि नया टीका डेल्टा वायरस व वायरस के अन्य रूपों पर भी प्रभावी होगा। जायडस कैडिला की यह वैक्सीन ऐसे समय में आई है जब देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति में गिरावट है, लेकिन भविष्य की आशंकाओं के बीच यह हमारी ताकत बन सकती है। देश के 56 करोड़ से अधिक वयस्कों को वैक्सीन की पहली डोज लग पाना कोरोना संक्रमण के खिलाफ हमारे मजबूत इरादों को जाहिर करता है।

ऐसे में टीकाकरण अभियान में भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिकों की यह उपलब्धि हौसला बढ़ाने वाली है। उस दिन हम और मजबूत होंगे जब देश शिशुओं को सुरक्षा कवच देने वाली वैक्सीन हासिल कर लेगा। दरअसल, शिशुओं के संक्रमित होने की स्थिति में बड़ों के लिये भी खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही देश के लोगों को कोरोना से बचाव के परंपरागत उपायों और सावधानियों के प्रति सजग बने रहना होगा।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker