समृद्धि का संकल्प

निस्संदेह, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का देश को संबोधन महज रस्मी नहीं होता, इससे जहां सरकार की रीतियों-नीतियों व उपलब्धियों का पता चलता है, वहीं भविष्य की रणनीतियों का भी खुलासा होता है। स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश करते देश के सामने पंद्रह अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां देश के गौरवशाली अतीत का जिक्र करके राष्ट्रीय आंदोलन के नायकों व शहीदों का भावपूर्ण स्मरण किया, वहीं एक नागरिक के रूप में हमारी जवाबदेही का अहसास भी कराया।

उन्होंने देश की आजादी यात्रा के अमृतकाल में प्रवेश पर उन योजनाओं का भी खाका खींचा जो देश के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करते वक्त स्वर्णिम तस्वीर उकेर सकेंगी। उन्होंने इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को तो जाहिर किया ही, साथ ही युवा शक्ति के देश से अपने सामर्थ्य से इस राष्ट्रीय यज्ञ में आहुति देने का आह्वान भी किया, जिससे देश दुनिया में खुद को सबसे बड़े व सफल लोकतंत्र के रूप में साबित कर सके। उन्होंने युवा आबादी के रूप में देश के संसाधनों की ताकत का जिक्र करते हुए अमृतकाल के संकल्पों का पूरा होने का विश्वास भी जताया।

प्रधानमंत्री ने जहां सहकारिता की अवधारणा पर बल देते हुए सरकार व समाज की सामूहिक भागीदारी का जिक्र किया, वहीं इस दिशा में प्रयासों के लिये सहकारिता मंत्रालय खोले जाने की जानकारी भी दी। प्रधानमंत्री ने उन बाधाओं को दूर करने के प्रति भी चेताया जो नये उद्यमों को शुरू करने तथा रचनात्मक प्रयासों में बाधक बनते हैं।

उन्होंने कहा कि कौशल विकास की दिशा में हमने नियम-प्रक्रियाओं के सरलीकरण की तरफ कदम बढ़ाया है, लेकिन इस दिशा में बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने विकास की गति को मंथर करने वाली लाल फीताशाही को खत्म करने का आह्वान किया, जिसके लिये प्रधानमंत्री ने सरकारी विभागों व कर्मचारियों को कार्यशैली के सरलीकरण पर जोर दिया, जिससे भारत में नये उद्यम लगाने व उद्योगों के विकास की राह सरल बन सके।

प्रधानमंत्री ने इस अमृतकाल की विशिष्ट यात्रा में जन-भागीदारी की वकालत की और मोदी सरकार के चिर-परिचित नारे ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ में उन्होंने ‘सबका प्रयास’ भी जोड़ा है जो स्वतंत्रता सेनाओं के अथक प्रयासों से हासिल स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाये रखने में सहायक साबित होगा। साथ ही कहा कि हर व्यक्ति अपनी भूमिका के जरिये राष्ट्र विकास में अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास करे।

प्रधानमंत्री ने समतामूलक विकास की कड़ी में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिये सरकार द्वारा संसद में लाये गये विधेयक का जिक्र भी किया। वहीं बीते वर्ष सरकार द्वारा लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के कुछ राज्यों में जारी विरोध के बीच प्रधानमंत्री ने किसानों को भी संबोधित किया। उन्होंने बताया कि देश के अस्सी फीसदी किसान दो हेक्टयेर जमीन पर जीविका उपार्जन कर रहे हैं। सरकार ने इस तबके को ध्यान में रखकर नीतियां तैयार की हैं। इनके लिये कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि सीधे उनके खातों में भेजी गई है। सरकार का प्रयास है कि हर ब्लॉक स्तर पर कृषि उपज भंडारण की व्यवस्था की जाये। उनके भाषण में सबसे महत्वपूर्ण विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिये सौ लाख करोड़ खर्च करने का उल्लेख था। साथ ही उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के प्रति सरकार की प्राथमिकता को उजागर किया और सभी पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को रेल से जोड़ने का संकल्प जताया।

इसके अलावा देश को जोड़ने के लिये 75 ट्रेन आरंभ करने की भी बात कही। इससे पहले स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोरोना योद्धाओं के प्रयासों को सराहते हुए देशवासियों को चेताया कि अभी कोरोना संकट टला नहीं है, इसलिये सुरक्षा उपायों की अनदेखी न करें। उन्होंने कृषि क्षेत्र के उल्लेखनीय विकास, टोक्यो में खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन और कोविड संकट के बाद उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों का भी जिक्र किया। साथ ही जम्मू-कश्मीर में बदलाव को युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बताया। 

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