सर्जन भी बच्चों का इलाज करेंगे

बांदा,संवाददाता। कोरोना की संभावित तीसरी लहर में ज्यादातर बच्चों के चपेट में आने की आशंका जताई जा रही हैं। इन्हीं को ध्यान में रखकर शासन-प्रशासन की महामारी से निपटने की तैयारी है, लेकिन सबसे बड़ी आफत बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। इस कमी को सर्जन, गायनको, मेडिसिन, हड्डी और नेत्र रोग जैसे विभागों के विशेषज्ञों से दूर किया जा रहा है।

उन्हें ऑनलाइन प्रशिक्षण के जरिए बाल रोग विशेषज्ञ की भूमिका निभाने के लिए तैयार किया जा रहा है। चित्रकूटधाम मंडल के एकलौत मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक कोविड सेंटर में इलाज और सावधानियों से लेकर हर बारीकियों से उन्हें बखूबी वाकिफ कराया जा रहा है।

एम्स और पीजीआई के सीनियर डाक्टर उन्हें बाकायदा प्रशिक्षित कर रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञों की कमी के मद्देनजर शासन ने अन्य विभागों के डाक्टरों को बतौर बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में तैयार करने का निर्णय लिया है।इसी के तहत डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को पीडियाट्रिक कोविड सेंटर में बच्चों के इलाज के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

मेडिकल कालेज में ऑनलाइन प्रशिक्षण शुरू हो गया है। दिल्ली के एम्स और लखनऊ के पीजीआई व केजीएमयू के विशेषज्ञ रोजाना एक घंटे यहां के कई विभागों के डाक्टरों को बाल रोग विशेषज्ञ के दायित्व और बच्चों के इलाज की बारीकियों के बारे में सिखा रहे हैं। इसमें नर्सिंग स्टाफ भी इसमें शामिल है। अभी पहले बैच को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें करीब 50 लोग हैं

यह प्रशिक्षण एक सप्ताह तक चलेगा। प्रधानाचार्य डा. मुकेश कुमार यादव ने बताया कि मौजूदा में उनके यहां मात्र चार बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जबकि पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) वार्ड में 110 बेड हैं। कोरोना महामारी के खतरे और यूनिट में बेडों की संख्या के मुताबिक, 21 बाल रोग विशेषज्ञ होने चाहिए।

पर्याप्त पीडियाट्रिक न होने पर मेडिकल कालेज के सर्जन, गायनको, नेत्र, मेडिसिन, हड्डी रोग, ईएनटी, एनेस्थेटिस्ट समेत 21 विभागों के डाक्टरों को प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है।

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