बाँदा के पत्रकारों ने प्रतापगढ़ के संवाददाता की मौत पर प्रकट किया रोष

जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

बाँदा। उत्तर प्रदेश में एक और पत्रकार की हत्या माफियाओं ने कर दी जिसके बाद पत्रकार जगत में रोष व्याप्त है इसी के चलते बाँदा के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौप है। अब सवाल यह उठता है कि
क्या भ्रस्टाचार को उजागर करना अपराध है? क्या सच्चाई सामने लाना गुनाह है।

ऐसा ही कुछ किया था प्रतापगढ़ के ABP न्यूज़ के संवाददाता सुलभ श्रीवास्तव ने। शराब माफियाओं के खिलाफ खबर चलाई। उनको धमकी दी गयी। सुलभ जी ने पुलिस के आला अधिकारियों को पत्र लिख कर हत्या की आशंका जताई। समय से कोई एक्शन लिया गया होता तो शायद उनकी हत्या नहीं हुई होती। यह घटना क्रम के लिए कहीं न कही लचर व्यवस्था जिम्मेदार है।

इस सरकार में कितने पत्रकारों की हत्या हुई और कितनो पर मुकदमें। क्या यह सरकार कानून व्यवस्था के नाम पर फेल है। लचर तंत्र और बहरे सिस्टम के आगे पत्रकार की क्या औकात। पत्रकार को सिर्फ इस्तेमाल किया जाता है।

अधिकारी अपने गुणगान के लिए, नेता अपने स्वार्थ के लिए। और अगर गलती से कोई पत्रकार सच लिखने लगे तो वह अधिकारी, नेता, माफिया की आंखों में खटकने लगता है। फिर दबाव से , प्रलोभन से और फिर भी न शांत हुआ तो दुनिया से ही उठा दिया जाता है।

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