कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की बढ़ी मुश्किल, इस्तीफा देने का लगातार बन रहा दबाव
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफा देने का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिना फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद जस्टिन ट्रूडो बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं। अब उनकी पार्टी के ही सांसद उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री बताने लगे हैं। कनाडा की मीडिया के मुताबिक ट्रूडो ने अभी निर्णय नहीं लिया है कि वह इस्तीफा देंगे या फिर पद पर बने रहेंगे। हाउस ऑफ कॉमन्स में 153 सीटों के साथ लिबरल पार्टी की सरकार थी। इनमें से 60 सांसद चाहते हैं कि जस्टिन ट्रूडो पद छोड़ दें।
सोमवार को कॉकस की बैठक में जस्टिन ट्रूडो को कड़ा विरोध झेलना पड़ा। क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह भले ही जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्कील घड़ी हो लेकिन कनाडा के लिए अच्छा समय आने वाला है। उन्होंने कहा, शुक्रवार को ही ट्रूडो ने कह दिया था कि वह उन्हें वित्त मंत्री के तौर पर नहीं रखना चाहते बल्कि कोई और पद देने को तैयार हैं। ऐसे में मैंने ईमानदारी का रास्त चुना और इसलिए इस्तीफा दे दिया।
जस्टिन ट्रूडो ने अपने करीबी डॉमिनिक लेब्लांक को नया वित्त मंत्री बनाने का फैसला किया है। इस बीच जस्टिन ट्रूडो ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, प्रधानमंत्री के रूप में आपकी सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात है। इसलिए मैं रोज सुबह उठकर सबसे पहले यही विचार करता हूं कि कनाडा के लोगों के लिए इस देश को कैसे बेहतर बनाया जाए। यहां भी जस्टिन ट्रूडो ने कोई संकेत नहीं दिया कि वह पद पर बने रहेंगे या फिर इस्तीफा दे देंगे।
कनाडा का विपक्ष मांग करने लगा है कि तुरंत चुनाव करवाए जाएं। विपक्ष के नेता पियरे पाइलिवरे ने कहा, ट्रूडो में किसी का भरोसा नहीं बचा है, यहां तक कि उनके कैबिनेट मंत्री भी उनपर भरोसा नहीं करते हैं। केवल जगमीत सिंह को ही उनपर भरोसा है। बता दें कि हाउस ऑफ कॉमन्स में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने जस्टिन ट्रूडो का ही साथ दिया था। इस बारे में जगमीत सिंह ने कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन उन्होंने अगली बार अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जस्टिन ट्रूडो का साथ देने की बात भी नहीं कही है।
बता दें कि फ्रीलैंड का अचानक इस्तीफे का ऐलान कर देना जस्टिन ट्रूडो के लिए बड़ा झटका है। इस साल ट्रूडो के पांच कैबिनेट मिनिस्टर इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें से चार ने यह भी कह दिया है कि वे अगले आम चुनाव में मैदान में नहीं उतरेंगे। इसके अलावा कनाडा अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी चुनौती का सामना कर रहा है। जस्टिन ट्रूडो को ही इसके लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को 25 फीसदी टैरिफ लगाने की वॉर्निंग दे दी है। इसके अलावा भारत से भी कनाडा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
जस्टिन ट्रूडो की बढ़ती अलोकप्रियता की वजह से पार्टी के अंदर से उनके इस्तीफे की मांग उठ रही है। 2025 में ही कनाडा में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी के सांसदों को लगता है कि नेतृत्व में बदलाव जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आम चुनाव में पार्टी को झटका लग सकता है।