अमेरिका में आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश पर पीएम मोदी ने पहली बार दी प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा…

खालिस्तानी सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में भारतीय अधिकारी के शामिल होने के अमेरिकी दावे पर पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम अमेरिका की ओर से दिए गए सबूतों को देखेंगे, लेकिन कुछ घटनाएं अमेरिका और भारत के संबंधों को पटरी से नहीं उतार सकतीं। फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अमेरिका के साथ कूटनीतिक संबंधों पर पड़ने वाले असर को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा। लेकिन यह जरूर कहा कि हम सबूतों पर विचार करेंगे। पीएम मोदी ने कहा, ‘यदि कोई हमें कुछ सूचना देता है तो हम जरूर उन्हें देखेंगे।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘यदि हमारा कोई नागरिक कुछ अच्छा या बुरा करता है तो फिर हम उसे देखने के लिए तैयार हैं। कानून के शासन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है।’ दरअसल अमेरिकी एजेंसियों ने दावा किया है कि उसकी धरती पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश भारतीय एजेंट्स कर रहे थे। इस में एक भारतीय अधिकारी भी शामिल था। पीएम मोदी ने इंटरव्यू के दौरान पश्चिमी देशों से भी अपील की कि वे भारत की चिंताओं को समझें और अलगाववादी तत्वों को बढ़ावा न दें। पीएम मोदी ने कहा कि हम दूसरे देशों में बसे अतिवादी तत्वों की गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं।  

पीएम मोदी ने कहा, ‘ये तत्व अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में धमकियां देते हैं और हिंसा भड़काते हैं।’ गुरपतवंत सिंह पन्नू को 2020 में भारत ने आतंकवादी घोषित किया था। वह कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में छिपता रहा है। भारत ने कई बार पश्चिमी देशों से यह भी कहा है कि वे सिख अलगाववादियों की गतिविधियों को हल्के में न लें। हालांकि इस मामले में अमेरिका के साथ रिश्ते खराब होने की बात को पीएम मोदी ने खारिज किया। उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से रिश्ते मजबूत करने के समर्थक लोगों की बड़ी संख्या है। यह बताता है कि हमारी साझेदारी परिपक्व है और स्थिर है।

पीएम मोदी बोले- एकाध घटना से रिश्ते नहीं होंगे खराब

उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत की साझेदारी में तो सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने के उपायों को ही अहमियत दी गई है। पीएम ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि एकाध घटनाओं से दोनों देशों के रिश्तों में कोई असर होगा। बता दें कि जून में ही पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे और जो बाइडेन भी जी-20 में हिस्सा लेने के लिए सितंबर में दिल्ली आए थे। गौरतलब है कि अमेरिका की ओर से लगाए आरोपों की जांच के लिए भारत ने एक हाई-लेवल कमेटी गठित करने की बात कही है।

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