शॉपिंग के हैं शौकीन लेकिन नहीं है फेक वेबसाइट की पहचान, तो अपनाए ये तरीका…

 नई दिल्ली, बीते कुछ सालों में ऑनलाइन शॉपिंग काफी लोकप्रिय हुई है, लेकिन इसके साथ ही कई खतरे भी बढ़े हैं। जब हम ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो कभी-कभी गलत साइट को खोल लेते हैं। ऐसे में हमें पैसो के साथ पर्सनल डाटा के खोने या चोरी होने की समस्या से जूझना पड़ता है।

हाल ही में नोएडा पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसने शहर के कुछ प्रमुख खुदरा विक्रेताओं की फर्जी वेबसाइट बनाई थी।इस साइबर गैंग ने कथित तौर पर डी-मार्ट, बिग बास्केट और बिग बाजार की फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों से करोड़ों रुपए ठगे थे। इन साइबर अपराधियों ने इन फर्जी वेबसाइटों पर भारी छूट की पेशकश की।

क्या है मामला?

पुलिस अधिकारी के अनुसार, गिरोह ने भोले-भाले खरीदारों को लुभाने के लिए रियायती या सस्ती दरों पर प्रोडक्ट बेचे, फिर भुगतान के दौरान उन्होंने अपने क्रेडिट/डेबिट कार्ड के बारे में जानकारी हासिल की और अपने बैंक खातों से धोखाधड़ी से पैसे निकालने के लिए डिटेल का इस्तेमाल किया।

ऐसे में अगर आप क्या करें और कैसे इस तरह के धोखेबाजों से बचें। आज हम कुछ ऐसे ही टिप्स के बारे में बताएंगे, जो आपको इन साइट्स की पहचान करने देगा।

एड्रेस बार की जांच करें

किसी वेबसाइट पर देखने वाली पहली चीज उसका एड्रेस होता है। इसकी शुरुआत में https: // से होती है, जिसके Https:// में ‘S’ सिक्योर के लिए है और यह दर्शाता है कि वेबसाइट डाटा ट्रांसफर करने के लिए एन्क्रिप्शन का उपयोग करती है। हालांकि, एक वेबसाइट, जो http: // का उपयोग करती है और जिसमें कोई ‘S’ नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह हमेशा एक स्कैम वेबसाइट है, लेकिन हां आपको अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी साइट पर http:// से शुरू होतती साइट पर डासने से पहले सावधान रहने की आवश्यकता है।

पैडलॉक की तलाश करें

सुनिश्चित करें कि वेबसाइट में पैडलॉक है। वेबसाइट पर पैडलॉक का अर्थ है कि साइट एक TLS/SSL प्रमाणपत्र द्वारा सुरक्षित है, जो यूजर डाटा को एन्क्रिप्ट करता है। यूजर्स एड्रेस बार के ऊपरी बाएं कोने में लॉक की तलाश कर सकते हैं। बता दें कि तीन प्रकार के टीएलएस प्रमाणपत्र हैं, जो हर लॉक को प्रदर्शित करेंगे। इसमें डोमेन वेरिफिकेशन, आग्रेनाइजेशन वेरिफिकेशन और एक्सटेंडेड वेरिफिकेशन शामिल है ।

भारी छूट

स्कैमर भारी छूट देने वाले नकली ऑनलाइन स्टोर बनाते हैं। इनमें से कई डील का सोशल मीडिया वेबसाइटों पर प्रचार किया जाता है। ये साइटें या तो आपकी भुगतान जानकारी चुराती हैं या धोखाधड़ी वाले उत्पाद खरीदने के लिए यूजर्स को बरगलाती हैं।

गलत URL की करें जांच

नकली साइट का एक बड़ा संकेत गलत वर्तनी वाला URL है। स्कैमर्स धोखाधड़ी करने वाले URL नाम को थोड़ा बदल सकते हैं और amaz0n.com, T@nishq जैसे नामों का उपयोग कर सकते हैं। डोमेन एक्सटेंशन को बदलने के लिए एक और आम तरीका है, जैसे की स्कैमर्स amazon.com के बजाय amazon.org का इस्तेमाल कर सकते हैं।

वेबसाइट की जानकारी

वेबसाइट की विश्वसनीय संपर्क जानकारी की तलाश करें। इसमें फोन, ईमेल, लाइव चैट और भौतिक पता शामिल है। अगर आपको कोई संदेह है तो इन्हें आजमाएं। फोन का जवाब कौन देता है? क्या वह व्यक्ति जानकार/कानूनी लगता है? साथ ही, अगर संपर्क का एकमात्र तरीका ईमेल फॉर्म है, तो सावधानी से आगे बढ़ें।

ऑनलाइन समीक्षाएं

Google पर वेबसाइट के बारे में ऑनलाइन समीक्षाएं देखें। ऑनलाइन फीडबैक देने के लिए आप Google पर साइट का नाम के लिए समीक्षाएं सर्च कर सकते हैं।

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