बुंदेलखंड है दलहन का कटोरा, करे प्रयास की यहां के बीज यही रहे
कुरारा-हमीरपुर। स्थानीय राजकीय कृषि विज्ञान केंद्र में बुंदेलखंड में दलहन उत्पादन चुनोती, संभावनाएं एवं रणनीति को लेकर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। शुभारंभ निदेशक शोध बांदा कृषि एवं प्रौधौगिकी विश्वविद्यालय बाँदा ने दीप प्रज्वलित कर किया।
डा. एसपी मिश्रा निदेशक शोध बांदा कृषि एवं प्रौधोगिकी विश्वविधालय बांदा ने बताया कि भारत सरकार ने आईआईपीआर कानपुर के माध्यम से हमीरपुर में दलहन में क्रांति लाने के दलहन सीड हब की स्थापना कराई जा चुकी है। जिससे जनपद के बीज यही रहेंगे तथा किसानों को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर कर दिया जाएगा। दलहनीं फसलो में कम लागत में अधिक मूल्य मिल रहा है।
जिसमे समर्थन मूल्य से अधिक बाजार में मिल जाता है जिससे किसानों को आर्थिक रूप से गति मिल रही है। प्राक्रतिक खेती की अपार संभावनाएं बुंदेलखंड में है। इस पर उन्होंने किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी। डा. एलबी यादव संयुक्त कृषि निदेशक चित्रकूट धाम मंडल बांदा ने कहा कि बुंदेलखंड को दलहन का कटोरा के नाम से देश में ख्याति प्राप्त है।
दलहन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए क्षेत्रानुकूलित नई प्रजाति को बढ़ावा देने के साथ किसान के सहयोग से बीज उत्पादन करने से क्षेत्र में गुडवत्ता युक्त बीज से किसान उत्पादन लेकर आत्मनिर्भर होगा। डा. देव सिंह ने किसान उत्पादक संगठन के सम्बंध में जानकारी दी। कृषि से जुड़ी व्यवसायिक गतिविधयों को चलाने तथा किसानों का समूह बनाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
तब शासन की योजनाओं का लाभ समूह के किसानों को मिल सकता है। डा. मोहम्मद मुस्तफा ने केंद्र की गतिविधयों का जिक्र किया। वही किसानों को प्रमाण पत्र दिए गए। इस अवसर पर डा. फूल कुमारी, डा. शालिनी, डा. एसपी सोनकर, डा. चंचल सिंह, डा. एसपीएस सोमवंसी सहित किसान सतीश पालीवाल, अरविंद सिंह, बलराम दादी, राजेन्द्र सिंह सहित आधा सैकड़ा की संख्या में किसान मौजूद रहे।