कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि में भर्ती प्रकरण
जाँच के आदेश के बाद भी नहीं शुरू हुई जाँच
बांदा। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि में भर्ती प्रकरण में पांच दिन पूर्व जांच के आदेश होने के बावजूद अब तक कोई जांच अधिकारी नहीं आया। विवि में सभी कार्य पूर्व की तरह हो रहे हैं। विवि प्रशासन भर्तियों को मानक के मुताबिक बता रहा है।
वहीं, मामले में घिरे जिम्मेदार राजधानी (लखनऊ) की दौड़ लगा रहे हैं। दूसरी तरफ जनप्रतिनिधि जांच पूरी होने तक कुलपति और निदेशक (प्रशासन) को हटाने की लगातार मांग कर रहे हैं। इस पर शासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
कृषि विवि में हुई भर्ती में 11 पदों पर एक जाति विशेष को तवज्जो देने पर शासन से धांधली की शिकायत की गई थी। कृषि विश्वविद्यालय में प्राध्यापक, सह प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक के 40 पदों में भर्ती के लिए दो बार अलग-अलग विज्ञापन प्रकाशित किए गए थे।
सिर्फ 24 पदों पर ही भर्ती हो सकी। इनमें अनारक्षित श्रेणी के 16 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग के पांच व अनुसूचित जाति के तीन पद शामिल हैं। शेष 16 पद रिक्त रह गए। इसकी वजह पदों के मुताबिक उपयुक्त अभ्यर्थी न मिल पाना बताया गया। भर्ती में अनारक्षित श्रेणी के 16 पदों में 11 एक ही जाति के लोगों का चयन होने से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
सत्तारूढ़ दल के तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति व सपा राज्यसभा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने इसकी शिकायत शासन स्तर पर की थी। इस पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी को पूरे प्रकरण की जांच के निर्देश दिए थे।
सूत्रों के मुताबिक, शासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से आख्या मांगी थी। इसके बाद से भर्ती प्रकरण से जुड़े विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों ने लखनऊ की परिक्रमा शुरू कर दी है।
उधर, जांच के आदेश हुए पांच दिन बीत गए और अब तक कोई भी अधिकारी यहां नहीं आया। विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि उसने सभी भर्तियों नियमों के मुताबिक की हैं।
आरोपों के घेरे में आए प्रोफेसर ले रहे ऑनलाइन क्लास
साक्षात्कार प्रक्रिया के बाद आरोपों के घेरे में आए एक ही जाति के 11 शिक्षकों में अधिकांश ने दो जून को ही ज्वाइन कर लिया था। फिलहाल वह विश्वविद्यालय में चल रहीं ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन भी कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय में कार्यालीय कार्य व ऑनलाइन शिक्षण का कार्य जारी है। हालांकि, विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर किसी भी बाहरी का प्रवेश वर्जित कर रखा है।
विवि ने खुद को बताया पाक-साफ
कृषि विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया की जांच के आदेश के बाद दूसरी बार फिर विश्वविद्यालय प्रशासन ने खुद को इस भर्ती प्रक्रिया में साफ-सुथरा बताया है। कुलपति डॉ. यूएस गौतम की ओर से जनसंपर्क अधिकारी डॉ. वीके गुप्ता ने कहा कि शिक्षकों का चयन योग्यता के अनुसार किया गया है। तथ्यहीन आरोप लगाकर विवि को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।
चयनित शिक्षकों के पक्ष में उतरा विवि
भर्ती प्रकरण में जांच के बाद विवि प्रशासन चयनित शिक्षकों के पक्ष में उतर आया है। विवि की ओर से जारी विज्ञप्ति में इन चयनित शिक्षकों को योग्य बताया गया है। कहा गया कि चयनित शिक्षक देश के सात अलग-अलग राज्यों से आए हैं।
बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, और हरियाणा से यह आए हैं। विवि में विभिन्न गतिविधियां संचालित करने में कठिनाई होती थी। अब यह चयनित शिक्षक अपने विषय की योग्यता और व्यापक अनुभव से विवि में शिक्षा, शोध व प्रसार के कार्यों को गति प्रदान करेंगे।