बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो न करें नजरंदाज : डा. पियाली
बाल गृहों के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने पर मंथन
महिला कल्याण निदेशक मनोज राय ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने पर दिया जोर
बाँदा महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत प्रदेश में संचालित 180 बाल गृहों में रह रहे शून्य से 18 साल के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने को लेकर शनिवार को विभागीय कोविड वर्चुअल ग्रुप के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गहनता से विचार-विमर्श किया।
बच्चों में कोरोना के लक्षणों और बचाव के तरीकों पर विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। बाल गृहों के कर्मचारियों के क्षमतावर्धन के लिए कोविड वर्चुअल ग्रुप द्वारा आयोजित वेबिनार में बाल गृहों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया।
वेबिनार में उपस्थित एसजीपीजीआई, लखनऊ की वरिष्ठ कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डा. पियाली भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो उनको नजरंदाज करने की कतई जरूरत नहीं है। बच्चों में डायरिया, उल्टी-दस्त, सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, आंखें लाल होना या सिर व शरीर में दर्द होना, सांसों का तेज चलना आदि कोरोना के लक्षण हो सकते हैं।
इसलिए यदि ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो उसे नजरंदाज कतई न करें और लक्षण सामान्य हैं तो बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें किन्तु बच्चा यदि पहले से किन्हीं बीमारियों की चपेट में रहा है और कोरोना के भी लक्षण नजर आते हैं तो उसे चिकित्सक के संपर्क में रखें। उन्होंने बाल गृह में रह रहे बच्चों का हेल्थ चार्ट बनाने पर जोर दिया।
डा. पियाली ने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए उनके खाद्य पदार्थों में हरी साग-सब्जी, दाल, मौसमी फल जैसे- तरबूज, खरबूज, नींबू, संतरा आदि को जरूर शामिल करें ताकि शरीर में रोग से लड़ने की ताकत पैदा हो सके।
इसके अलावा हाई प्रोटीन का भी ख्याल रखें, बच्चे को पनीर, मठ्ठा, छाछ, गुड-चना आदि इसके लिया दिया जा सकता है। मांसाहारी को अंडा, मछली आदि दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाल गृहों में हेल्प डेस्क की स्थापना हो और वहां पर हेप्लाइन के नम्बर -1075, 1800112545 और चाइल्ड लाइन का नंबर 1098 का डिस्प्ले जरूर हो।
महिला कल्याण निदेशक मनोज कुमार राय ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए बाल गृहों में रह रहे बच्चों को पहले से ही विभिन्न आयु वर्ग में विभाजित कर उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है। अन्य व्यवस्थाएं भी चुस्त-दुरुस्त हैं।
बाल गृहों में विशेषज्ञों की राय से जरूरी दवाओं का प्रबंध किया गया है। श्री राय ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में 180 बाल गृह संचालित हो रहे हैं, जिनमें शून्य से 18 साल के करीब 7000 बच्चे रह रहे हैं।
वेबिनार में प्रदेश के समस्त मंडलों के विभागीय अधिकारियों, जिलों के प्रोबेशन अधिकारियों, बाल गृहों के अधीक्षक, केयर टेकर, काउंसलर, नर्सिंग स्टाफ के अलावा सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), यूनिसेफ व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।