MP में धोखाधड़ी के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई 170 साल की सजा, जानिए पूरा मामला

मध्य प्रदेश में 34 लोगों से ठगी करने वाले को सत्र अदालत ने 170 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। मामला सागर जिले का है। आरोपी ने कपड़े की फैक्ट्री लगाने के नाम पर 34 लोगों को 72 लाख का चूना लगाया था। इससे पहले एमपी के सीहोर जिले में एक चिटफंड कंपनी के निदेशक को 250 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन उस मामले में 35 लाख पीड़ितों से 4000 करोड़ की ठगी की गई थी। सागर मामले में जज ने जेल की सजा के अलावा, गुजरात के तापी निवासी 55 वर्षीय नासिर मोहम्मद उर्फ नासिर राजपूत को प्रत्येक पीड़ित को 10,000 रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। मोहम्मद को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत दोषी ठहराया गया, जिसमें अधिकतम सात साल की सजा है।

धोखाधड़ी के मामले में मोहम्मद को ट्विस्ट के साथ पांच साल की सजा सुनाई गई। ऊपरी सत्र अदालत के जस्टिस अब्दुल्ला अहमद ने अपने फैसले में कहा, ‘दोषी ने 34 लोगों को धोखा दिया था। प्रत्येक पीड़ित के मामले में अलग-अलग दंडित किया जाना जरूरी है, क्योंकि हर पीड़ित के मामले में आरोपी द्वारा किए गए अपराध की जिम्मेदारी भी अलग-अलग होती है।’ चूंकि आरोपी ने 34 लोगों को ठगा था और हर पीड़ित के मामले में  उसे पांच साल की सजा दी गई है। यानी उसे 170 साल जेल में गुजारने होंगे।

जिला अभियोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने कहा कि पुलिस ने सागर जिले के भैंसा और सदर गांव के निवासियों की 2019 के अंत में दी गई शिकायत के बाद मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई की। डिम्हा ने कहा कि अपराधी ने 2018 के अंत में क्षेत्र में आने के बाद स्थानीय लोगों के साथ अच्छे संबंध बना लिए थे। उनकी जीवनशैली भव्य थी। उसने कहा कि वह एक कपड़ा फैक्ट्री में निवेश करने के लिए रियल एस्टेट बिक्री से प्राप्त आय का इंतजार कर रहा है। मोहम्मद ने दावा किया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ टैक्स इश्यू के कारण उसके 7.85 करोड़ के हस्तांतरण पर रोक लगा दी है। उसने स्थानीय लोगों को यह भी बताया कि उसके बेटे कंबोडिया, वियतनाम और दुबई में कपड़ों का कारोबार करते हैं।

स्थानीय लोग आरोपी की बातों में आ गए और  कई लोगों ने उसकी फैक्टरी में निवेश कर दिया। निवेशकों में से एक द्वारा पैसे वापस करने का दबाव डालने के बाद मोहम्मद फरार हो गया। उसका परिवार भी लापता हो गया। उन्हें 19 दिसंबर, 2020 को कर्नाटक के कुलबर्गा से गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ऊपरी अदालत में यह सजा खारिज हो जाएगी। एमपी के सेवानिवृत्त महाधिवक्ता रवि नंदन सिंह ने कहा, ‘सजा मुख्य रूप से समवर्ती है, लगातार नहीं। अगर अपराध की प्रकृति अलग है तो सजा लगातार हो सकती है लेकिन इस मामले में यह ऊपरी अदालत में टिक नहीं पाएगा।’

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