यूपी : बेतवा नदी में अचानक बाढ़ आने से टापू पर फंसे 4 किसान

दिल्लीः उत्तर प्रदेश के झांसी में बेतवा नदी के तांडव से चार किसानों की जान आफत में आ गई है. बेतवा नदी के टापू पर फंसे चार किसान बीते 7 दिनों से फंसे हैं और जिंदगी बचाने की जंग लड़ रहे हैं. दरअसल, मामला बरुआसागर थाना क्षेत्र के खड़ेसर गांव का है, जहां बेतवा नदी के बीच दो टापुओं पर 4 किसान पिछले 7 दिन से भूखे-प्यासे फंसे हुए हैं. बताया जा रहा है कि जब खेत की रखवाली करने चारों किसान टापू पर गए थे, उस समय नदी का पानी ज्यादा नहीं था. मगर पिछले तीन-चार दिनों से नदी में लाखों क्यूसेक पानी बांधों से छोड़े जाने के बाद बेतवा नदी अचानक उफान पर आ गई. ऐसे में चारों किसान पिछले 7 दिन से बेतवा नदी की प्रलयंकारी धारा से घिरे हुए मदद की गुहार लगा रहे हैं.

किसानों के परिजनों का गंभीर आरोप
टापू में फंसे किसानों के परिजनों का आरोप है कि हमने अफसरों के साथ-साथ स्थानीय नेताओं से लेकर पुलिस अधिकारियों से लगातार मदद की गुहार लगाई मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. बता दें कि झांसी में बेतवा नदी में लगातार आ रही बाढ़ का असर नदी के किनारे बसने वाले गांव पर साफ तौर से देखा जाने लगा है. नदी का बहाव काफी तेज है, जिसकी वजह से अब तक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं हो पाया है.

फिलहाल बेतवा नदी का जलस्तर काफी तेज बह रहा है. बेतवा नदी में बड़ी-बड़ी पत्थर की चट्टानों के होने के बाद एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची थी, जिसने फिलहाल रेस्क्यू करने से इसलिए हाथ खड़े कर दिए, क्योंकि बेतवा नदी की धारा बहुत तेज है और नदी के अंदर पत्थर हैं, जिसमें एनडीआरएफ की रबड़ वोट रेस्क्यू करने के दौरान फट सकती है और इस स्थिति में एनडीआरएफ के जवानों को भी बड़ा नुकसान हो सकता है. फिलहाल सेना भी मौके पर पहुंच गई है. 7 दिन से फंसे किसानों को बेतवा नदी के पानी से बचाने के लिए जिला प्रशासन, सेना के साथ किस तरह की कवायद करता कि यह अगले कुछ घंटों में साफ हो जाएगा.

मौजूदा स्थिति यह बता रही है कि 7 दिनों से किसानों के पास किसी भी तरह की कोई मदद नहीं पहुंची है. किसान भूखे-प्यासे वहां पड़े हुए हैं. दिन और रात जान की बाजी लगाकर बिता रहे हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन हेलीकॉप्टर के जरिए टापू में फंसे सभी किसानों को सकुशल बचाता है या फिर जिला प्रशासन कोई अन्य विकल्प चुनता है. हालांकि हेलीकॉप्टर के अलावा दूसरा कोई विकल्प मौजूद भी नहीं दिख रहा है. जिस तरह से बेतवा नदी का जलस्तर बढ़ा है, बहाव तेज और नदी में बड़ी-बड़ी पत्थर की चट्टानें हैं, ऐसी स्थिति में किसानों तक रबड़ बोट, स्टीमर से जाना नामुमकिन है.

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