चीन ने पाकिस्‍तान और श्रीलंका के अहम प्रोजेक्‍ट्स को लेकर सामने आई खबरों को किया खारिज 

दिल्लीः चीन (China) ने अपनी महत्वाकांक्षी 147 अरब डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का बचाव करते हुए इसके भविष्य को लेकर आशंका जताने वाली खबरों को खारिज कर दिया. कुछ खबरों में कहा गया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस रणनीतिक परियोजना का भविष्य धुंधला दिख रहा है क्योंकि पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश चीनी अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करने वाले ऋण को चुकाने में विफल रहे हैं. कई ‘थिंक टैंक’ के हवाले से विभिन्न खबरों में कहा गया है कि बीआरआई और इसके तहत 60 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) एशिया से लेकर अफ्रीका तक के देशों के कर्ज में डूबने से अधर में लटक गया है. ये देश परियोजनाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं और ऋण का भुगतान करने में असमर्थ हैं या इनकार कर चुके हैं.

गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए चीनी परियोजना ऋण को भुगतान संतुलन में परिवर्तित कर रहे हैं. श्रीलंका पहले ही 51 अरब डॉलर के कर्ज भुगतान में चूक कर चुका है, जिसमें चीन से लिया गया कर्ज भी शामिल है, जबकि पाकिस्तान वित्तीय संकट के कगार पर है. श्रीलंका जैसी आर्थिक स्थिति से बचने के लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मदद पर निर्भर है. बीआरआई और सीपीईसी, शी (68) की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं हैं, जिन्हें व्यापक रूप से इस साल के अंत में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की पांच साल में एक बार आयोजित होने वाली कांग्रेस द्वारा अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल के लिए समर्थन मिलने की उम्मीद है.

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सीपीईसी को लेकर भारत ने चीन के समक्ष विरोध जताया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीआरआई के वित्तीय संकट में फंसने की खबरों का खंडन करते हुए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जुलाई तक चीन ने 149 देशों और 32 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बीआरआई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं. वेनबिन ने कहा, ‘‘हमारे पास एक ट्रिलियन युआन (लगभग 147 अरब डॉलर) से अधिक की निवेश मात्रा है.’’ साथ ही, उन्होंने कहा कि चीन के 87 देशों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोगात्मक संबंध हैं. वेनबिन ने कहा कि नौ साल पहले बीआरआई की परिकल्पना के बाद से चीन ने पारस्परिक परामर्श, दोनों पक्षों के फायदा के लिए सहयोग के सिद्धांतों के आधार पर संबंधित देशों के साथ काम किया है और उपयोगी परिणाम हासिल किए हैं.

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