हामिद करजई ने भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन से देश नहीं छोड़ने का किया था आग्रह

दिल्लीः पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान के अफगानिस्तान पर  कब्जा करने के बाद भारत जब काबुल में अपने दूतावास को बंद करने की तैयारी कर रहा था, तो पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन से देश नहीं छोड़ने का आग्रह किया था. बहरहाल करजई ने भारतीय राजदूत से हुई बातचीत का खुलासा करने के इनकार किया.

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि ‘बिल्कुल, बहुत साफ तौर पर मैंने उनको न जाने की सलाह दी थी. भारत के वापस जाने का कोई कारण नहीं था, मुझे खुशी है कि वे वापस आ रहे हैं. मैं भारत सरकार के नेताओं से दूतावास को फिर से पूरी तरह खोलने का आग्रह कर रहा हूं. अफगानिस्तान और भारत के बीच इतने संबंध हैं कि यहां भारत की मौजूदगी की जरूरत है. इसलिए मुझे खुशी है कि वे लौट रहे हैं और मैं चाहता हूं कि वे पूरी ताकत से लौटें.’

करजई ने 1979-1983 तक भारत में पढ़ाई की है और उन्होंने कहा कि दिल्ली को प्राथमिकता के आधारTalibanTaliban पर अफगानिस्तान के उन कॉलेज छात्रों को फिर से वीजा जारी करना चाहिए, जो भारत में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें वीजा मिलने में कठिनाई हो रही है. उन्होंने कहा कि अफगान छात्रों की भारत वापसी महत्वपूर्ण है.

करजई ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के पुराने संबंधों के कारण अफगानिस्तान में भारत की जगह है और भारत में अफगानिस्तान का स्थान है. इसलिए, अफगान लोगों के साथ यह जुड़ाव जरूरी है और भारत को वापस लौटना चाहिए.  करजई ने 2002 से 2014 तक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति का पद संभाला था. तालिबान के कब्जे के पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से पलायन की खबरों के बीच करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला ऐसे दो नेता थे, जो काबुल में बने रहे. इससे काबुल के निवासियों को बहुत भरोसा मिला.

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