मथुरा : हिंदू-मुस्लिमों के लिए कान्हा एक समान, ऐसे तैयार की जाती है खास पोशाक
दिल्लीः जन्माष्टमी पर्व को लेकर कान्हा की नगरी मथुरा भव्यता और भक्ति के रंग में नहाई हुई है. सड़कों पर भक्तों का सैलाब नजर आ रहा है. चारों तरफ हरे-कृष्णा, राधे-कृष्णा के भजन सुनाई दे रहे हैं. देश-विदेश से लोग वृंदावन पहुंच रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा ऐसे लोग हैं जो अपने बाल गोपाल के लिए पोशाक खरीदने आते हैं, क्योंकि कान्हा की नगरी में बने पोशाकों में भी एक श्रद्धा छुपी रहती है.
वैसे तो वृंदावन में ठाकुर जी की पोशाक बनाने का काम हमेशा होता रहता है, लेकिन भक्तों के सैलाब को देखते हुए वृंदावन के कारीगर ठाकुर जी की पोशाक बनाने में ज्यादा समय बिता रहे हैं. खास बात ये है कि हिंदू समुदाय के लोगों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय के लोग भी लड्डू गोपाल की पोशाक बनाने में जुटे हुए हैं.
14-14 घंटे कर रहे हैं काम
पोशाक बनाने वाले कारीगर सतीश बताते हैं कि इस बार जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ आ रही है. ऐसे में लड्डू गोपाल के लिए पोशाकों की डिमांड काफी अधिक हो गई है, हम लोग दिन-रात काम करके पोशाक तैयार कर रहे हैं. वैसे तो हम लोग 7 से 8 घंटे काम करते हैं, लेकिन जन्माष्टमी के पर्व को लेकर हम लोग 12 से 14 घंटे पोशाक बनाने का काम कर रहे हैं. वहीं, लड्डू गोपाल की पोशाक विक्रेता से बात की गई तो उनका कहना था कि मथुरा वृंदावन से भारत के साथ-साथ विदेशों में भी पोशाकें भेजी जाती हैं.
शेषनाग लीला पोशाक की डिमांड
कारीगरों का कहना है कि वृंदावन में इस बार सबसे ज्यादा शेषनाग लीला पोशाक की डिमांड देखने को मिल रही है. वहीं पोशाकों के रेट को लेकर कहना है कि यहां की पोशाकों का एक रेट नहीं है. 10 रुपए से लेकर लाखों रुपए तक की पोशाक दुकानों पर मिल जाती है.
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इन पोशाकों को तैयार करने के लिए सामग्री काफी दूर-दूर से मंगाई जाती हैं. ज्यादातर पोशाकों को तैयार करने के लिए गोटा, जरी, नवी और सितारे समेत कई चीजों की जरूरत पड़ती है यहां आने वाला हर श्रद्धालु अपने लड्डू गोपाल और कृष्ण भगवान के लिए पोशाक यहीं से ले जाना पसंद करता है. वहीं, पोशाक व्यापारी आशीष शर्मा का कहना है कि यहां आने वाले श्रद्धालु बांसुरी, मुकुट, बाजूबंद के अलावा बाल गोपाल के श्रृंगार का सामान भी खरीद रहे हैं.