रसोइयां सिर पर ढोतीं सिलिंडर फिर बनातीं मध्याह्न भोजन
बांदा,संवाददाता। खप्टिहा कलां परिषदीय विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बनाने वाली रसोइयों को प्रधान के घर से राशन सामग्री और सिलिंडर विद्यालय तक खुद ढोना पड़ता है।
जबकि यह जिम्मेदारी प्रधान की होती है, लेकिन वे रसोइयों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय अहिरन डेरा, गदहा डेरा, धोनी का डेरा, केन नदी के उस पार विद्यालयों में काम करने वालीं रसोइया प्रधान के घर से सिलिंडर और राशन सामग्री लातीं हैं। फिर खाना बनाती हैं।
प्राथमिक विद्यालय खप्टिहा कलां इंचार्ज प्रधानाध्यापक कृष्णमूर्ति ने बताया कि प्रधान के घर से राशन सामग्री समय से न आने पर विद्यालय का भोजन देर से बन पाता है। गैस सिलिंडर खत्म हो जाने की जानकारी दी जाती है तो प्रधान वहां से सीधे सिलिंडर ले जाने को कहते हैं।
मजबूरी में रसोइयों को सिलिंडर लेने जाना पड़ता है। वैसे यह कार्य रसोइयों का नहीं होता है। बीईओ राजेश कुमार ने बताया कि रसोइया का काम केवल खाना बनाना है। सिलिंडर व राशन सामग्री पहुंचाना प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी है।
प्राथमिक और जूनियर विद्यालय खप्टिहा कलां में तैनात रसोइया लक्ष्मी देवी, खड्डी, अनीता, माया ने बताया कि उन्हें प्रतिदिन प्रधानाध्यापक राशन सामग्री लेने ग्राम प्रधान के घर भेजते हैं। इसके अलावा जब सिलिंडर खत्म होता है तो वह ही खुद लेने जाती हैं। कहने पर भी कोई मदद नहीं करता है।