भरतपुर में स्थित है भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली, चल रही बचने की मुहीम

दिल्लीः

राजस्थान के भरतपुर (Bharatpur) जिले में स्थित भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली इलाके में खनन रोकने को लेकर आंदोलनरत साधुओं (Movement of Sadhus) में एक साधु की ओर से किये गये आत्मदाह के प्रयास के बाद यह मामला राजस्थान की सीमाओं को लांघ गया है. आत्मदाह का प्रयास करने वाले साधु की नाजुक बनी हुई हालात से गहलोत सरकार चिंतित है. दरअसल भरतपुर जिले में साधु-संत जिस इलाके को वैध और अवैध सभी तरह के खनन से मुक्त करने की मांग कर रहे हैं उसका बड़ा धार्मिक महत्व है. इसी धार्मिक महत्व के चलते साधु संत इसमें खनन प्रक्रिया रोककर इसे वन क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं. इसी इलाके से देशभर में प्रसिद्ध ब्रज की 84 कोसीय परिक्रमा का मार्ग भी निकलता है.

जानकारों के अनुसार ब्रज भूमि भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी शक्ति राधा रानी की लीला भूमि है. यह चौरासी कोस की परिधि में फैली हुई है. यहां पर राधा-कृष्ण ने कई चमत्कारिक लीलाएं की हैं. सभी लीलाएं यहां के पर्वतों, कुण्डों, वनों और यमुना तट आदि पर की गई हैं. पुराणों में ब्रज भूमि की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है. ऐसा माना जाता है कि राधा-कृष्ण ब्रज में आज भी नित्य विराजते हैं. उनके दर्शन के निमित्त भारत के समस्त तीर्थ यहां विराजमान हैं. सालभर के दौरान यहां असंख्य तीर्थ यात्री आते रहते हैं.

प्रसिद्ध ब्रज 84 कोसीय परिक्रमा ज्यादातर यूपी से होकर गुजरती है. लेकिन इसका कुछ हिस्सा भरतपुर के डीग और कामां इलाके में आता है. इसी तरह से गोवर्धन की छोटी 7 कोसी परिक्रमा अधिकतर उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है, लेकिन अंत में यह राजस्थान के पूचरी का लोठा तक पहुंचती है. पूरा भरतपुर राजस्थान में ब्रज भाषा और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है.

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