अग्निपथ योजना के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट आज करेगा सुनवाई

दिल्लीः

अग्निपथ योजना के खिलाफ दाखिल की गई याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. अग्निपथ योजना को लेकर अलग-अलग अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गईं हैं. इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है.

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उसके समक्ष लंबित सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना को चुनौती देने वाली सभी जनहित याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने केरल, पंजाब एवं हरियाणा, पटना और उत्तराखंड उच्च न्यायालय से भी इस योजना के खिलाफ उनके यहां दायर सभी जनहित याचिकाओं को या तो दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने या फिर उन पर तब तक फैसला निलंबित रखने को कहा, जब तक दिल्ली उच्च न्यायालय अपना निर्णय नहीं कर लेता.

पीठ ने कहा, ‘हमारा विचार है कि जिन तीन रिट याचिकाओं को इस अदालत के समक्ष दायर किया गया है, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उनकी संख्या बदल दी जानी चाहिए. आमतौर पर हम याचिकाकर्ताओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में नए सिरे से जाने की आजादी देकर इन याचिकाओं का निपटारा कर देते, लेकिन हम याचिकाओं को वापस लेने और इन्हें नए सिरे से दायर करने की प्रक्रिया में होने वाली देरी से बचने के लिए यह कदम उठाने से परहेज कर रहे हैं.’

पीठ ने निर्देश दिया कि शीर्ष अदालत के न्यायिक रजिस्ट्रार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर तीनों रिट याचिकाओं के रिकॉर्ड दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायिक रजिस्ट्रार को स्थानांतरित करेंगे, ताकि याचिकाओं की संख्या बदली जा सके और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के निर्देश के तहत इन्हें उचित पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सके. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि उसे इस तथ्य से अवगत कराया जा रहा है कि केरल, पटना, पंजाब एवं हरियाणा और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के समक्ष भी कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर करने वाले इन याचिकाकर्ताओं को या तो मौजूदा निर्देशों के तहत अपनी याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष स्थानांतरित करने का विकल्प देंगे या फिर फिर वे दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित कार्रवाई में हस्तक्षेप कर अपनी दलीलें देने के लिए स्वतंत्र होंगे. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता द्वारा पहला विकल्प चुने जाने की सूरत में संबंधित उच्च न्यायालय में लंबित याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष उन याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए भेज दिया जाएगा, जो वहां विचाराधीन हैं या फिर मौजूदा आदेश के तहत स्थानांतरित की गई हैं.’

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