समस्याओं से नहीं सरोकार, लेकिन हैं अध्यक्ष के दावेदार

राठ-हमीरपुर। इस समय नगरवासी विद्युत आपूर्ति की विषम समस्याओं से जूझ रहे हैं।परंतु उनका साथ देने वाला कोई भी नहीं है, सारे के सारे पक्ष-विपक्ष के प्रतापी नेता भूमिगत हो चुके हैं। सामाजिक संगठन वाले भी मुंह चुराए घूम रहे हैं। अधिकारी हैं, कि सुनते ही नहीं।

ऐसे में नगर वासी अभी तक की सबसे दयनीय स्थिति में बिजली की समस्या का सामना कर रहे हैं। अब जबकि नगर पालिका परिषद का कार्यकाल पूरा होने वाला है और आसन्न चुनाव को देखते हुए नगर में अध्यक्ष पद के दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त सामने आ रही है।

जिसमें लगभग आधा दर्जन गंभीर उम्मीदवार जनता के बीच चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। चर्चा में वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष श्रीनिवास बुधौलिया, पिछले नगर पालिका चुनाव में सम्मानजनक वोट पाने वाले उमेश यादव और दानिश खान तथा पहली बार पालिका अध्यक्ष के चुनाव में उतरने का मूड बना चुके नगर के बहुचर्चित भूपेंद्र यादव एवं यदि पार्टी ने आदेशित किया तो भारतीय जनता पार्टी के मनोज गुप्ता हैं।

यह सारे के सारे दावेदार इस समय भीषण उमस भरी गर्मी में अभी तक की सर्वाधिक बाधित विद्युत आपूर्ति को लेकर कहीं भी और किसी भी अधिकारी से बात भी नहीं कर पा रहे हैं।

अब जबकि जनता त्राहि-त्राहि कर रही है, यह सभी अपने नगर पालिका अध्यक्ष बनने की कामना लिए इधर-उधर संपर्क स्थापित कर रहे हैं। अब यक्ष प्रश्न यह उठता है कि जब ऐसे समस्या ग्रस्त समय में नगर के प्रथम पुरुष होने का स्वप्न देखने वाले ही अधिकारियों से बात करने का साहस नहीं उठा पाएंगे अथवा शासन तक इस समस्या को हल करने के लिए अपना जोर नहीं लगाएंगे, तो फिर अगले 5 साल तक उनको किस विश्वास के तले जनता अपना समर्थन दें।

आखिर क्यों आज समस्या का निस्तारण करने वाले नेत्रत्व कर्ता अथवा समाजसेवी लोगों की इस विकराल समस्या के प्रति उदासीन हैं। उसका सबसे बड़ा कारण है कि जब भी किसी नेता अथवा समाजसेवी ने समस्याओं को लेकर कोई धरना-प्रदर्शन अथवा आंदोलन करना चाहा या किया, तो उसमें नगर के वासियों की तादाद बहुत ही दयनीय रहती है।

जिससे कि समस्या का अगुआ भी समस्या को सुलझाने का प्रयास करने में मायूस हो जाते हैं और जब नगरवासी अथवा जन समुदाय भी उनके साथ पर्याप्त संख्या में नहीं रहता तो अधिकारियों के ऊपर उचित दबाव भी नहीं बनता है। नगर के राजनीतिक इतिहास में वह दिन भी दर्ज है।

जब तत्कालीन विधायक गयादीन अनुरागी ने बिजली की खराब आपूर्ति एवं दयनीय वोल्टेज को लेकर नवीन तहसील परिसर में लोगों को सूचित करते हुए धरना दिया था। गयादीन अनुरागी तब विधायक थे, फिर भी उस समय लोगों को प्रभावित करके ही वहां पर एकत्रित किया गया था और बमुश्किल 20-25 व्यक्ति ही वह भी उनके समर्थक एकत्रित हो सके थे।

नागरिकों के इसी उदासीनपूर्ण रवैये के कारण ही नेतागण किसी भी समस्या को लेकर धरना-प्रदर्शन करने के पहले कई बार सोचने को विवश हो जाते हैं, कि कुछ किया जाए अथवा नहीं।

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