उत्तराखंड में फैक्ट्रियां घाटे में जा रही हैं तो खामियाज़ा मजदूर चुका रहे

दिल्लीः जशोधरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में लगी सरिया और इंगट बनाने की फैक्ट्रियों में लंबे समय से हो रही बिजली कटौती का असर अब श्रमिकों के रोज़गार पर भी पड़ता नजर आ रहा है. इंडस्ट्रियल एरिया में एक दर्जन से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं, जिनमें हज़ारों की तादाद में मज़दूर काम करते हैं. हर दिन 8 से 14 घंटे की बिजली कटौती होने से जहां फैक्ट्रियां रोजाना लाखों का नुकसान झेल रही हैं, तो अब इस घाटे की कीमत मज़दूरों को चुकानी पड़ रही है और उनकी तन्ख्वाह का खर्च फैक्ट्रियों को भारी पड़ रहा है.

फैक्ट्री प्रबंधन मज़दूरों को वेतन नही दे रहा है, जिससे गुस्साए श्रमिक अब फैक्ट्रियों के गेट के बाहर धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं. यहां काम करने वाले ज्यादातर मज़दूर उत्तरप्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं, जो अपने घरों से दूर रोज़ी रोटी के लिए नौकरी कर रहे हैं. अब उत्तराखंड से भी उनका दाना पानी उठने की नौबत बनती दिख रही है. इधर, बड़े स्तर पर श्रमिकों व कर्मचारियों की छंटनी करने जा रहे फैक्टी मालिक अपनी मजबूरी बता रहे हैं, तो उत्तराखंड सरकार जवाब यही है कि कोशिश की जा रही है कि सब ठीक हो जाए.

दरअसल सरिया फैक्ट्री पूरी तरह से बिजली पर निर्भर है और लंबे समय के लिए कटौती होने से फैक्ट्रियों में काम ठप है, जिससे उत्पादन बुरी तरह प्रभावित है. एक फैक्ट्री संचालक उमेदजी का कहना है कि जनवरी से उन्हें बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है और पिछले दो महीनों से हालात और भी खराब हो चुके हैं. ‘फैक्ट्रियां कुछ घंटे ही बमुश्किल चल पा रही हैं. धंधा डूबने की कगार पर है.’

गरीबी में आटा गीला वाली कहावत ऐसे चरितार्थ हो रही है कि सरकार फिर से सिक्योरिटी जमा करने का नोटिस थमा रही है. फैक्ट्री संचालक अवनीश अग्रवाल ने कहा कि तमाम टैक्स देने के बावजूद फैक्ट्रियों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन बिजली कटौती से फैक्ट्रियां कर्ज़े में डूब रही हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे ही हालात रहे, तो कारोबारी अपनी फैक्ट्रियां उत्तराखंड से यूपी शिफ्ट करने पर मजबूर होंगे.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker