छत्तीसगढ़: सरकार का दावा पिछले कुछ सालों में 500 से ज्यादा गांव नक्सली मुक्त हुए
दिल्लीः छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि नक्सल समस्या के समाधान के लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है. सरकार ने इस समस्या को लेकर जो फैसले किए उसकी वजह से बस्तर संभाग के अंतर्गत माओवादी संगठन की गतिविधियां दक्षिण बीजापुर, दक्षिण सुकमा, इंद्रावती नेशनल पार्क, अबूझमाड़ और कोयलीबेड़ा क्षेत्र के चंद वर्ग किलोमीटर तक सीमित हो गई हैं. इन गतिविधियों के सीमित होने की वजह से माओवादियों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है और उनमें बौखलाहट है.
गौरतलब है कि अपने संगठन का अस्तित्व बनाए रखने और कैडर के मनोबल को मजबूत रखने के लिए माओवादी किसी भी स्तर तक जा रहे हैं. वे निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करते हैं, कभी विकास कार्यों में उपयोग किए जा रहे वाहनों को आग के हवाले करने हैं, तो कभी सुरक्षाबलों के ऊपर जानलेवा हमला करते हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि बस्तर संभाग के अंतर्गत साल 2019 से पहले नक्सल प्रभावित गांवों की संख्या 2710 थी, इनमें से पिछले 48 महीनों में 589 गांव नक्सलियों से मुक्त हुए. बस्तर संभाग के अंदर नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए. इलाके की जनता की मांग पर विकास कार्यों के लिए 48 महीनों में 43 नए सुरक्षा कैंप/थाना स्थापित किए गए.
बस्तर संभाग के सुरक्षा कैंपों के समग्र विकास के लिए उन स्थानों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक प्रणाली, बिजली, बैंक, आंगनबाड़ी केंद्र एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे जनता में शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ रहा है. पिछले कई वर्षों से माओवादी स्थानीय आदिवासी युवकों को जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर गलत जानकारी देकर शासन के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन, इसके बाद छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल और जिला पुलिस बल में स्थानीय युवकों की भर्ती की गई. इसकी वजह से पिछले कुछ सालों में माओवादी संगठनों की भर्ती में कमी आई है. इतना ही नहीं नक्सल आतंक के कारण बस्तर संभाग के अंतर्गत 363 स्कूल बंद थे, जिनमें से पिछले 48 महीनों में 257 स्कूल दोबारा खोले गए.
वहीं, बस्तर संभाग के अंदर 48 महीनों में बिजली से वंचित कुल 196 गांव में सप्लाई शुरू कर दी गई. बस्तर संभाग के अंदर 48 महीनों में बिजली से वंचित कुल 196 गांव में सप्लाई शुरू कर दी गई. आंकड़ों की बात करें तो इस साल 30 जून तक कुल 134 नक्सली घटनाएं हुईं, 14 नक्सली मारे गए और 289 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. वही इस अवधि में 177 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और कुल 41 नक्सली मुठभेड़ हुईं.