जानवरों का तबेला बन गया संस्कृत विद्यालय
बांदा,संवाददाता। बुंदेलखंड में संस्कृत विद्यालयों की हालत दयनीय है। नरैनी ब्लॉक के पुगरी अंश बंजारा में स्थापित महावीर उच्चतर माध्यमिक संस्कृत विद्यालय विभागीय अनदेखी के चलते जानवरों का तबेला बन गया है। शिक्षक व छात्र तो आते ही नहीं, लेकिन जानवर विद्यालय परिसर में बंधे रहते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय साल में एक बार महज शिक्षकों के हस्ताक्षर के लिए खुलता है। इसके बाद जानवर ही बांधे जाते हैं। देववाणी संस्कृत भाषा को आमजन तक पहुंचाने के लिए विद्यालय का निर्माण वर्ष 2000 में हुआ था। 14 ग्राम पंचायतों व 24 मजरों में यह एक मात्र संस्कृत विद्यालय है।
बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए चार शिक्षक तैनात हैं। ग्रामीण भोला, राम किशोर और राम दयाल का कहना है कि शुरू में यह विद्यालय बेहतर चलता था। यहां बच्चों की भी संख्या 200 के करीब थी। दो साल पहले प्रधानाचार्य के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद विद्यालय अव्यवस्था का शिकार हो गया।
लापरवाही के चलते माह में एक दो दिन ही विद्यालय खुलता है। शिक्षक व बच्चे नहीं आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अब बच्चों को संस्कृत शिक्षा के लिए जनपद मुख्यालय के विद्यालयों में प्रवेश कराना पड़ रहा है।
जिला विद्यालय निरीक्षक विनोद कुमार सिंह का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। यदि ऐसा कोई संस्कृत विद्यालय चल रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।