बिकरू कांड में शहीद सिपाही की पत्नी का दर्द
बोली 2 साल बीत जाने के बाद भी नहीं दी गई नौकरी, परिवार चलाना हुआ मुश्किल
उरई/जालौन,संवाददाता। आज कानपुर के सर्वाधिक चर्चित बिकरू कांड को ठीक 2 साल हो गए। इस कांड में डीएसपी सहित आठ पुलिस जवान शहीद हो गए थे। जिसमें झांसी जनपद के भोजला के रहने वाले जवान सुल्तान सिंह भी इस कांड में शहीद हुए थे।
इन शहीद के परिजनों को सरकार ने मृतक आश्रित के तहत सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। मगर घटना के 2 साल बीत जाने के बावजूद भी अभी तक पत्नी को सरकार ने नौकरी नहीं दी है। शहीद हुए सुल्तान सिंह की पत्नी उर्मिला वर्मा का कहना है कि शासन से आश्वासन मिला था। उन्हें सरकारी नौकरी दी जाएगी।
मगर घटना के 2 साल बीत जाने के बावजूद भी अभी तक उन्हें नौकरी नहीं दी गई है। बिकरू कांड में शहीद हुए झांसी जनपद के भोजला के रहने वाले आरक्षी सुल्तान सिंह की पत्नी उर्मिला वर्मा मूल रूप से उरई की रहने वाली हैं। इस घटना के बाद से ही वह अपने बच्चों के साथ पिता के घर उरई में रह रही है।
शहीद की पत्नी उर्मिला का कहना है कि वह बीएड और टीईटी पास है। इस घटना के बाद श्रम विभाग के प्रमुख सचिव उनके गांव भोजला पहुंचे थे। जहां उन्होंने आश्वासन दिया था कि उन्हें शिक्षा विभाग में नौकरी दे दी जाएगी। जिसके लिए उनके कागज भी ले लिए थे। मगर शिक्षा विभाग में जॉब नहीं दी गई।
बाद में पुलिस विभाग में ही जॉब देने की बात कही गई। शहीद की पत्नी ने बताया कि वह शारीरिक रूप से फिट नहीं है। वह अपनी बीमारी से जूझ रही हैं। उनके एक छोटी बच्ची है, मगर पुलिस विभाग की तरफ से उन्हें लेटर फिजिकल फिटनेस के लिए भेजा जाता है।
जबकि वह बता चुकी है कि शारीरिक बीमारियों के कारण वह पुलिस में सेवा नहीं दे सकती हैं। उन्हें शिक्षा विभाग में जॉब दिया जाए, मगर सरकार की तरफ से इस पर कोई भी गौर नहीं किया जा रहा है। जिस कारण उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई में समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि कई लोगों को मृतक आश्रित में बिना फिजिकल और लिखित परीक्षा के जॉब दे दी गई है। जबकि उन्हें लगातार फिजिकल और लिखित परीक्षा के लिए कहा जा रहा है। वह मुख्यमंत्री से मांग करती हैं कि जिस तरह से दूसरे लोगों को बिना फिजिकल और लिखित परीक्षा की डायरेक्ट जॉब दी गई है।
उसी तरह उन्हें भी बिना लिखित और फिजिकल कराए नौकरी दी जाए। 2 जुलाई 2020 की काली रात को चैबेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम बिकरू में गैंगस्टर विकास दूबे और उसके साथियों को गिरफ्तार करने के लिए बिल्हौड के डीएसपी देवेंद्र कुमार मिश्रा अपनी टीम के साथ दबिश देने के लिए गए हुए थे।
जहां विकास दूबे और उसके साथियों ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। इस घटना में डीएसपी देवेंद्र कुमार मिश्रा सहित 8 पुलिस कर्मी जिसमें एसओ महेश कुमार यादव, दरोगा अनूप कुमार सिंह, नेबू लाल, सिपाही सुल्तान सिंह, जितेंद्र पाल, बबलू कुमार, राहुल कुमार शहीद हो गए थे। इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले हत्यारों को पुलिस ने 1 माह के भीतर एनकाउंटर में मार गिराया था।
साथ ही हत्याकांड में शहीद हुए परिजनों को शासन की तरफ से सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई थी। मगर हत्याकांड के 2 साल बीत जाने के बावजूद भी इस घटना में शहीद हुये पुलिस आरक्षी सुल्तान सिंह की पत्नी को अभी तक शासन की तरफ से नौकरी नहीं दी गई। जिसका दर्द उसकी पत्नी पर साफ झलक रहा है।