ISRO का यह पोएम पहली बार पूर्ण रूप से काम कर पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाएगा

दिल्लीः जब भी कोई कृत्रिम उपग्रह का प्रक्षेपण होता है तो उसके रॉकेट का अंतिम चरण कचरा बन जाता है, लेकिन लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो (Indian Space Research Organisation, ISRO) ने इस चरण को कचरा बनने देने की जगह उपयोग में लाने का काम किया है. 30 जून को ही उसके द्वारा प्रक्षेपित पी.एस.एल.वी.-सी53/डी.एस.-ई.ओ. (PSLV C53/DSEO) अभियान में वह पोएम (POEM) नाम की तकनीक का उपोयग कर प्रक्षेपण यान के चौथे चरण को उपयोगी बनाएगा. इसमें चरण द्वारा सैटेलाइट को कक्षा में पहुंचाने के बाद उसे वैज्ञानिक प्रयोगों के मंच के तौर पर उपयोग में लाया जाएगा.

क्या है ये POEM?
पोएम दरअसल पीएसएलवी  कक्षीय प्रयोगात्मक मॉड्यूल (POEM) एक प्लेटफॉर्म या मंच है जो वैज्ञानिकों को कक्षा में ही प्रयोग करने के अवसर प्रदान करेगा. इसके लिए इसरो के पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल के अंतिम या चौथे चरण के हिस्से का उपयोग किया जाएगा जो समान्य तौर पर प्रक्षेपण की भूमिका खत्म होने के बाद खारिज हो जाता है.

पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल चार चरणों वाला रॉकेट है, जिसके पहले तीन चरण तो महासागर में गिर जाते हैं, लेकिन अंतिम या चौथा चरण जिसे PS4 भी कहते हैं, सैटेलाइट को अपनी कक्षा पहुंचाने के  बाद केवल एक अंतरिक्ष का कचरा भर रह जाता है. लेकिन जब इसरो ने गुरुवार को पीएसएलवी-सी53 का प्रक्षेपण किया तो इसके चौथे चरण को प्रयोग करने के लिए एक स्थिर मंच के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है.

पहली बार पृथ्वी का चक्कर
इस प्रक्षेपण से पहले इसरो ने अपने बयान में कहा था कि यह पहली बार होगा जब PS4 चरण एक स्थिर मंच की  तरह पृथ्वी का चक्कर लगाएगा. इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने प्रक्षेपण के बाद मिशन कंट्रोल से अपने संबोधन में कहा कि मूल अभियान के बाद चौथा चरण कक्षा में पोयम (कविता) लिखेगा.

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