सैन्य सुधार

सत्ता संभालने के बाद से ही नरेंद्र मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा रही है। देश के सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक तकनीकी से सुसज्जित कर एक आधुनिक युद्धक बल के रूप में विकसित करने के लिए विगत आठ वर्षों में सरकार ने कई सार्थक कदम उठाए हैं।

इसी कड़ी में एक नई क्रांतिकारी पहल है- अग्निपथ योजना! यह योजना देश के स्वर्णिम कल को साकार करने वाली। देश की वे युवा प्रतिभाएं, जो समकालीन तकनीकी प्रगति को लेकर जागरूक हैं, अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीर के रूप में सेना का भाग बनने को आकर्षित होंगी।

इससे भारतीय सेना तो आधुनिकतम और सर्वश्रेष्ठ बनेगी ही, चार वर्ष की सेवा के बाद जब ये युवा वहां से निकलकर आएंगे, तो इनके रूप में हमारे समाज को दक्ष, अनुशासित और प्रेरित मानव संसाधन मिलेगा।

  अग्निपथ योजना शारीरिक रूप से स्वस्थ और उत्साह से परिपूर्ण देशभक्त युवाओं को सेना का गौरव धारण करने का अवसर देने वाली पहल है। इसके अंतर्गत 46,000 अग्निवीरों की भर्ती तीन महीने के भीतर कर ली जाएगी। लंबे समय से अनुभव किया जा रहा था कि भारतीय सेना को और अधिक युवा बनाना चाहिए।

यह उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है, जब सेना में युवा शक्ति की नियमित भागीदारी सुनिश्चित हो पाए और अल्पवधि सेवा वाले सैनिकों की संख्या अधिक हो। अग्निपथ योजना इस लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम होगी और युवा सैनिकों की निरंतर भर्ती का मार्ग प्रशस्त करेगी।

भारतीय सेना के तीनों अंगों- थल सेना, वायु सेना और नौसेना में अखिल भारतीय सभी वर्ग, यानी एआईएसी के आधार पर भर्ती होगी और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों जैसे मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थानों के जरिये केंद्रीकृत ऑनलाइन प्रणाली के साथ-साथ विशेष भर्ती अभियानों व परिसर साक्षात्कार के माध्यम से प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसमें स्वास्थ्य पात्रता व कठिन प्रशिक्षण मानकों का पूरा पालन किया जाएगा। 


अग्निवीर के रूप में भर्ती किए जाने वाले इन नौजवानों के प्रत्येक बैच से 25 प्रतिशत सैनिकों को नियमित कैडर की सेवा में लिया जाएगा, जो योग्यता आधारित आकलन पर होगा और उनकी सैन्य सेवाएं न्यूनतम 15 वर्षों के लिए होंगी। सैन्य सेवा से मुक्त होने के बाद जब ये अग्निवीर नागरिक जीवन में लौटकर आएंगे, तो उनके पास विशेष योग्यता प्रमाणपत्र होगा।

इनके वैकल्पिक रोजगार या नौकरी की व्यवस्था के साथ समाज में सम्मिलन और आजीविका का प्रयास तो किया ही जाएगा, उच्च शिक्षा के इच्छुक अग्निवीरों की सहायता की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय और अनेक राज्य सरकारों ने सैन्य सेवा से मुक्त होकर आने वाले इन युवाओं को अपने यहां सशस्त्र बलों में नियुक्ति में वरीयता देने की भी घोषणा की है।


आज विश्व की सभी प्रमुख सेनाएं सुधार की ओर अग्रसर हैं। वैश्विक रुझान यह है कि सैन्य कर्मियों की संख्या के बजाय सेना के लिए अत्याधुनिक हथियारों पर पूंजीगत व्यय बढ़ाया जाए। चीन तो 1980 से इस पर काम कर रहा है और उसने अपने सैनिकों की संख्या 45 लाख से घटाकर 20 लाख कर दी है।

वह सैनिकों की संख्या घटाने के साथ तकनीक और प्रौद्योगिकी में व्यय करके सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। अच्छी बात यह है कि मोदी सरकार चीन से भी तेज गति से भारतीय सेना का आधुनिकीकरण कर रही है।

मौजूदा डिजिटल युग में युद्ध कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ की मदद से स्वचालित प्रणालियों, दूरस्थ केंद्रों से संचालित होने वाले शस्त्रों व अंतरिक्ष आधारित गोपनीय चौकसी व टोह आदि के जरिये लड़े जा रहे हैं।

युवा व तकनीक के प्रति जागरूक अग्निवीरों की भर्ती से भारतीय सेना की यह आवश्यकता पूरी होगी। साथ ही, इससे भारतीय सैनिकों की औसत आयु चार-पांच वर्ष तक नीचे आ जाएगी।

विश्व की आधुनिक सशस्त्र सेनाओं में सक्रिय सैन्य सेवा की औसत अवधि दो से आठ वर्ष तक है। दुनिया की उत्कृष्ट सेना कही जाने वाली इजरायल की सेना में पुरुष सैनिकों की औसत सैन्य सेवा मात्र 30 महीने और महिला सैनिकों की 22 माह की होती है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस में भी सैनिकों की औसत सेवा एक से दस वर्ष तक ही होती है। 


अग्निपथ योजना भारतीय सेना को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना बनाने की योजना का अंग है। अग्निवीरों को जो प्रशिक्षण दिया जाएगा, वह विश्व स्तरीय सशस्त्र बलों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण के बराबर का होगा। देश की सेना को सशक्त करने की योजना तो पहले से ही चल रही है। सरकार ने रक्षा बजट लगभग दोगुना कर दिया है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में रक्षा बजट को 5,25,166 करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया है। हथियारों के मामले में दूसरे देशों पर निर्भरता से मुक्ति के लिए सरकार ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत देश में ही रक्षा उत्पादन पर बल दे रही है।

आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी गई है। इसी तरह, रक्षा उपकरणों का उत्पादन करने वाली कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी गई है।

सरकारी रक्षा कंपनियों के लिए वित्तीय वर्ष 2023 तक अपने कुल राजस्व का 25 प्रतिशत भाग निर्यात के जरिये जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 2022-23 के बजट में रक्षा पर व्यय की जाने वाली कुल राशि का 68 प्रतिशत देश में ही उत्पादित रक्षा उपकरणों पर खर्च किए जाने की व्यवस्था की गई।

यही नहीं, भारत में रक्षा उत्पादन बढ़ाने के लिए 41 कंपनियों को मिलाकर सात नई कंपनियां बनाई गईं और रक्षा उत्पादन गलियारा बनाया जा रहा है। 


अग्निपथ योजना हमारे सशस्त्र बलों में युवा प्रोफाइल को बढ़ाएगी और उनको ‘उत्साह’ व ‘भावना’ के नए संसाधन प्रदान करेगी। जाहिर है, इस तरह तकनीकी रूप से दक्ष सशस्त्र बलों की दशा-दिशा में आमूल-चूल परिवर्तन होगा। चार वर्ष की सैन्य सेवा करके लौटे युवा राष्ट्र-निर्माण की थाती सिद्ध होंगे।

अल्पकालिक सैन्य सेवा की दिशा में आगे बढ़ने का एक बड़ा लाभ यह भी है कि बाहरी व आंतरिक खतरों और प्राकृतिक आपदाओं के समय राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध होंगे। अत: इस सराहनीय योजना के बारे में देश के नौजवानों और जनता को प्रेरित किया जाना चाहिए।

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