धूमधाम से मनी पं रामप्रसाद बिस्मिल की जयन्ती

हमीरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत सरफरोशी की तमन्ना के जीवन्त प्रतीक पं रामप्रसाद बिस्मिल की जयन्ती पर संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि रामप्रसाद बिस्मिल भारत मां के सरफरोश सपूत थे, उनमें क्रातिचेता के सभी गुण समाविष्ट थे।

उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। रामप्रसाद का जन्म 11 जून 1897 को मुरलीधर के घर शाहजहांपुर मे हुआ था मां का नाम मूलमती था, इनके जीवन पर माता पिता और स्वामी सोमदेव का अधिक प्रभाव पडा था, इनका क्रांतिकारी जीवन 11 वर्ष की अल्पायु मे शुरू हो गया था, 19 वर्ष के होते होते ये बासन्ती रंग से सराबोर हो चुके थे, मैनपुरी षडयंत्र और काकोरी कांड में इनकी प्रमुख भूमिका थी, रामप्रसाद ने मैनपुरी मे मातृवेदी नामक संस्था को खडा किया था ।

09 अगस्त 1925 की काकोरी लूट मे लगभग छह हजार रुपये प्राप्त हुये थे, इस लूट को दस युवाओं ने अंजाम दिया था, जिसमें गोरी सरकार ने 40 क्रातिकारियों को गिरफ्तार किया।

लगभग सभी को अलग अलग सजा मिली थी, बिस्मिल, अशफाकउल्ला, रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहडी को सजाये मौत मिली थी, 30 वर्ष की उम्र मे 19 दिसंबर 1927 को रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल मे फासी पर लटका दिया गया था, ये कवि और लेखक भी थे, इनकी ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित हुई थी, अशफाक और बिस्मिल की जोडी राम रहीम की जोडी थी, आज भी काकोरी के शहीद न केवल देश की धरोहर हैं।

अपितु आज के परिवेश में ये प्रेरणाप्रद हैं। कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्त, अशोक अवस्थी, दिलीप अवस्थी, राधा रमण गुप्ता, चित्राशु खरे आदि उपस्थित रहे।

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