गोशालाओं में छाया से प्रधानों का इनकार
बांदा,संवाददाता। गोशालाओं में प्रशासन की ओर से व्यवस्थाओं के दावों की ग्राम प्रधानों ने हवा निकाल दी है। गर्मी और लू-धूप में मवेशियों के लिए टिनशेड या छाया का इंतजाम कर पाने से प्रधानों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। कहा कि प्रशासन बताए कि किस मद से भुगतान किया जाए?
यह भी कहा है कि गोशालाओं को स्वयंसेवी संस्थाओं के हवाले कर दिया जाए। ठंड में ठिठुर कर गोशालाओं में बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हुई। प्रशासन लीपापोती करता रहा। अब भीषण गर्मी में खुले आसमान तले दिन-रात बिता रहे मवेशियों की मौत हो रही है। आवारा कुत्ते उनके शव नोच रहे हैं।
बगैर पोस्टमार्टम कराए मवेशियों के शवों को गड्ढों में दबाया जा रहा है। इसके बाद जिले के अफसर शासन को गुमराह करने वाली रिपोर्ट भेजकर गोशालाओं में दुरुस्त व्यवस्थाओं के दावे कर रहे हैं। उधर, बड़ोखर ब्लॉक के लगभग डेढ़ दर्जन ग्राम प्रधानों ने अखिल भारतीय प्रधान संघ के तत्वावधान में सामूहिक हस्ताक्षरों से मंडलायुक्त को ज्ञापन दिया है।
इसमें प्रशासन की ओर से गोशालाओं की व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने के निर्देशों का हवाला देकर कहा है कि भीषण गर्मी में टिनशेड या पन्नी तले गोवंश को संरक्षित किया जाना संभव नहीं है। कहा कि अगर यह अनिवार्य है तो दिन में 20-20 मवेशियों को एक चरवाहा लगाकर उन्हें जंगल में चरने को छोड़ा जाए।
प्रधानों ने कहा कि इस चरवाहे को भुगतान कहां से होगा? प्रशासन यह लिखित बताए। बरसात में भूसे के लिए सुरक्षित शेड भी बनवाना जरूरी है। प्रधानों ने कहा कि यह सब नहीं हो सकता तो गोशालाओं को संस्थाओं के हवाले कर दिया जाए। ग्राम प्रधानों ने यह भी कहा है कि सभी ग्राम प्रधान, जिला पंचायत अध्यक्ष, सांसद, विधायक और प्रमुख राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्ष तथा गोरक्षा समिति अध्यक्ष की संयुक्त कार्यशाला आयोजित करके इस मुद्दे पर चर्चा हो।
प्रधानों की समस्या को भी सुना जाए। ज्ञापन देने वाले ग्राम प्रधानों में माया देवी (पचुल्ला), विनोद कुमार (लामा), आशा देवी (मोहन पुरवा), ब्रजगोपाल (बरगहनी), रामऔतार (डिंगवाही), आशा देवी (पचनेही), पूर्बा (त्रिवेणी), लियाकत खां (छनेहरा लालपुर), पूरनलाल (पड़ुई), रमाकांती शुक्ला (जमालपुर), अशोक कुमार (चिल्ली), विमला (रेउना), ओमप्रकाश (हटेटी पुरवा), संजय त्रिपाठी (गंछा) आदि शामिल रहे।