नेत्रदान करें, अंधेरे जीवन में भरें उजाले का रंग
बांदा,संवाददाता। अधर्म पर धर्म की जीत की तरह ही नेत्रदान है, जो किसी के अंधेरे जीवन में उजाले का रंग भर देता है। एक आंख के महादान से दो लोगों के जीवन का अंधेरा दूर हो सकता है।
इस वर्ष विश्व दृष्टि दिवस विजयदशमी की पूर्व पर मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर लोगों को नेत्रदान का संकल्प लेना चाहिए।
हालांकि अबकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिवस का विषय-लव योर आइज यानी अपनी आंखों से प्रेम’ निर्धारित है, लेकिन अपनी आंखों की सुरक्षा के साथ नेत्रदान पर चर्चा भी जरूरी है।
जिला अस्पताल में नेत्र विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. एसपी गुप्ता का कहना है कि नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता बेहद कम है। इसी का नतीजा है लोग अपनी आंखें दान करने से कतराते हैं।
लोगों में यह भी गलत धारणा है कि पुनर्जन्म में नेत्रहीन हो जाएंगे। इसी वजह से लोग नेत्रदान से परहेज करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यहां आई बैंक नहीं है, न ही संसाधन और स्टाफ है।
इसलिए चाहकर भी यहां नेत्रदान करने वालों का कार्निया नहीं निकाला जा सकता है। अभी चित्रकूट से टीम यहां आकर मृत शरीर से आंखों का कार्निया निकालती है।
मृत्यु के छह घंटे तक कार्निया सुरक्षित रहता है। एक आंख की कार्निया से दो लोगों की आंखों को रोशनी मिल सकती है।
नेत्र सर्जन के मुताबिक लोग अपनी आंखों के प्रति लापरवाह होते हैं। कोई समस्या होने पर नजरंदाज कर देते हैं, जबकि यह गलत है। जिंदगी के जीवन के सात रंग आंखों से शुरू होते हैं।
जिला अस्पताल में रोजाना 50 से ज्यादा नेत्र रोगी ओपीडी में आते हैं। चिकित्सक के मुताबिक इनमें लगभग 12 मरीज मोतियाबिंद के होते हैं। जिनकी आंखों की रोशनी बगैर आपरेशन नहीं लौट सकती।
उन्होंने बताया कि रैबीज, कोविड, एचआईवी, पीलिया आदि गंभीर बीमारियों से मृत व्यक्ति की आंखों का कार्निया नहीं लिया जा सकता। इसके अलावा अन्य सभी नेत्रदान कर सकते हैं।