पुलिस थाने भी होते हैं माइग्रेट
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम अनुसार लोग तो माइग्रेशन करते ही हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी पुलिस थाने हैं जो इंसानों की तरह ही मौसम के मिजाज को देखते हुए खुलते और बंद होते हैं।
ऐसा ही एक थाना सीमांत धारचूला के गुंजी में मौजूद है। यह थाना साल के पांच माह ही संचालित होता है। ठंड शुरू होते ही थाना बंद हो जाता है और पुलिस कर्मी निचले इलाकों में लौट आते हैं।
समुद्र तल से 10500 फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी क्षेत्र यूं तो अन्य की तरह एक सामान्य गांव हैं। यहां का सीजनल थाना इसे अन्य गांवों से भिन्न बनाता है और एक नई पहचान दिलाता है।
यह कुमाऊं का एकमात्र ऐसा गांव हैं जहां सीजनल थाना संचालित होता है। सालों से प्रतिवर्ष जून से अक्तूबर माह के अंत तक गांव में थाना खुलता है।
एक थानाध्यक्ष के नेतृत्व में आठ से दस सदस्यीय पुलिस दल को तैनात किया जाता है। पांच माह तक यह कर्मी गांव में कानून-व्यवस्था के साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रियों और आपदा के दौरान लोगों तक मदद पहुंचाते हैं।
गुंजी सीजनल थाने में वर्तमान में पुलिस-होमगार्ड सहित 11 कर्मी तैनात हैं। थाना प्रभारी हेम चंद्र पंत के नेतृत्व में बीते जून माह से कर्मी दस हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर सेवा दे रहे हैं।