शहर से लगे ग्राम हटेटीपुरवा में अवैध कब्जों के गिरे मकान पर बिफरे कब्जेदार अनशनकारी

बीते 23 जून से बाँदा अशोक लाट पर अनशनरत हैं गंवई लोग।

– आज सड़क जाम आंदोलन में महिलाओं ने बाँदा विधायक, सांसद व गैर जिम्मेदार पुलिस प्रशासन को बनाया निशाना।– गरीब अनशनकारियों को गुमराह करते लेखपाल, कुछ छद्म समाजसेवी व सुर्खियों में रहने वाले लोग।– ग्राम समाज की जमीनों पर जब होते है अवैध कब्जे तब प्रशासन मौन रहता हैं।– बीते सर्दी में वनविभाग मार्ग पर प्रशासन ने हटाये थे कुछ अवैध कब्जे जो महिलाओं ने पुनः बना दुरस्त कर लिए।– उक्त महिलाओं ने एसडीएम सदर से लेकर तहसीलदार अवधेश निगम,नगरपालिका ईओ तक को बौना साबित कर दिया था।– हरिजन महिलाओं को आगे करके बाँदा शहर की कुछ महिलाओं ने प्रशासन की छवि खराब करने का ठेका ले रखा हैं।

5 जुलाई,बाँदा। शहर से लगे ग्राम हटेटीपुरवा क्षेत्र में ग्राम समाज की नजूल भूमि पर गंवई लोगों ने बिना किसी स्वीकृति के पहले कच्चे फिर पक्के मकानों का अवैध निर्माण कर लिया। ग्राम प्रधान व अन्य की तरफ से मिली जानकारी में प्रशासन ने मौके पर जाकर अवलोकन किया और लेखपाल की तस्दीक पर अवैध कब्जों को हटा दिया गया।

वहीं इस कार्यवाही से बिफरे ग्रामीणों ने बीते सर्दी में अनशन किया था लेकिन प्रशासन के आश्वासन पर वापस चले गए थे। इधर यह मुद्दा अंदरखाने में सुलगता रहा। इस वर्ष 23 जून से पुनः उक्त कब्जेदारों ने कचहरी चौराहे पर आन्दोलनकर्मियों के साथ अनशन शुरू कर दिया हैं। बतलाते चले अनशनकारी ज्यादातर निषाद समाज से है।

अनशन कारियों का आरोप हैं हमारे घर गिराने से पूर्व कोई नोटिस आदि देकर सूचित नहीं किया गया था। प्रशासन ने यह त्वरित कार्यवाही जानबूझकर प्रताड़ित करने को की हैं। अनशन कर रहे लोगों की मांग हैं कि हमे वहीं या अन्यत्र कहीं आवास दिया जाए जिससे हमारे सिर की छत बनी रहे।

गौरतलब हैं शहर में ऐसी कई जगह व नजूल भूमि हैं जहां प्रशासन की नाक पर अवैध कब्जे हैं। मसलन विकास भवन के सामने सड़क पर दोनों तरफ। कचहरी सड़क पुल मार्ग के दोनों तरफ ताबड़तोड़ कब्जे हैं। यह कई बार हटाये गए लेकिन सियासी व्यापार मंडल की बदौलत पुनः आबाद हो जाते है। तत्कालीन डीएम महेंद्र बहादुर से लेकर पूर्व तत्कालीन एसडीएम श्री गिरीशचंद्र शर्मा ने इस तरफ बड़ी पहल की थी लेकिन नगरपालिका आज तक फुटपाथों पर गुमटी आबाद नहीं कर सकी। शहर के कचहरी मार्ग से संकटमोचन तक और बाजार में कहीं भी पार्किंग सुविधा इन्ही अवैध कब्जों के चलते नहीं हैं।

बड़ी बात है बीते सर्दी में नगरपालिका ईओ, एसडीएम सदर सुधीर कुमार,तहसीलदार की अगुवानी में वनविभाग मार्ग से हटाए गए अवैध कब्जे पहले से ज्यादा मजबूत सूरत में आबाद हो चुके हैं। सवाल यह उठता हैं जब यह कब्जे होते है तब प्रशासन की आपसी नूराकुश्ती से त्वरित कार्यवाही सम्भव नहीं होती हैं। वहीं कब्जेदारों की हठधर्मिता और कुछ राजनीतिक लोगों की महत्वाकांक्षी योजना से सुर्खियां बटोरने की कवायद में इन्हें आगे कर आन्दोलनकर्मियों की शक्ल दी जाती हैं।

वहीं प्रशासन खुद अपने बुने जाल में फंसता नजर आता हैं। देखना यह होगा कि आज अशोक लाट पर विधायक, सांसद और प्रशासनिक छीछालेदर के बीच अब कथित पीड़ितों के साथ क्या न्याय होता हैं या नहीं ? वहीं प्रशासन कब तक सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जे कराकर अपनी छवि धूमिल करता रहेगा।

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