देर से दुरुस्त

ऐसे वक्त में जब देश में प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के आंकड़े एक लाख से कम हुए हैं और मरने वालों की संख्या में गिरावट आई है, केंद्र सरकार द्वारा टीकाकरण नीति को न्यायसंगत व पारदर्शी बनाने से कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई को मजबूती मिलेगी।

निस्संदेह, सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार की टीका नीति पर की तल्ख टिप्पणियों और विपक्षी दलों द्वारा किये जा रहे लगातार हमलों के बाद केंद्र सरकार का नीति में बदलाव सुखद ही है। इससे टीकाकरण अभियान में आई शिथिलता को दूर करने में मदद मिलेगी।

जब पता है कि टीकाकरण ही कोरोना महामारी के खिलाफ सुरक्षा कवच है तो ऐसे में केंद्र, राज्यों व समाज को इस अभियान में जुटने की जरूरत है। निस्संदेह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक कुशल वक्ता हैं और हाल के दशकों में देश को सबसे ज्यादा बार संबोधित करने वाले नेता भी।

सोमवार को जब उनके राष्ट्र को संबोधन की बात सामने आई तो कई तरह के कयास लगाये जा रहे थे कि आखिर क्या कुछ नया होने वाला है। प्रधानमंत्री ने इस मौके का उपयोग कोरोना संक्रमण से लड़ने तथा टीकाकरण अभियान में जो विसंगतियां बतायी जा रही थीं, उसका जवाब देने के लिये किया।

उन्होंने दलील दी कि स्वास्थ्य को राज्यों का विषय बताते हुए टीकाकरण अभियान में आजादी की जो मांग की गई थी, उसके चलते टीकाकरण अभियान में विसंगतियां सामने आईं। बहरहाल, केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि देश के हर नागरिक को अब मुफ्त में वैक्सीन मिलेगी। साथ की वैक्सीन की खरीद व उपलब्धता का दायित्व भी केंद्र का ही होगा।

इसके अलावा निजी अस्पतालों को 25 फीसदी वैक्सीन सीधा कंपनियों से खरीदने की छूट होगी। वहीं निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिये वैक्सीन की कीमत के अतिरिक्त सर्विस चार्ज के रूप में डेढ़ सौ रुपये तक ही लेने की अनुमति होगी।

ऐसे वक्त में जब कोहराम मचाने वाली कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर उतार पर है और तीसरी लहर की आशंकाएं जताई जा रही हैं, हमें इस समय का उपयोग तेज टीकाकरण के अवसर के रूप में करना चाहिए।

यह अच्छी बात है कि अब 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को मुफ्त टीका लगेगा। देश में शीर्ष अदालत व आम लोगों की मांग थी कि सरकार को हर नागरिक का मुफ्त टीकाकरण करना चाहिए। टीकों की अलग-अलग कीमतों की वजह से भी संशय पैदा हुआ था।

दूसरी ओर कुछ राज्यों ने टीके की खरीद के लिये जो वैश्विक टेंडर दिये भी थे, उनका नतीजा सिफर रहा। एक तो दुनिया में टीके की उपलब्धता सहज नहीं है, दूसरे कंपनियां राज्यों को वैक्सीन देने में गुरेज कर रही थीं।

निस्संदेह जब देश की सत्तर फीसदी आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक कोरोना संक्रमण से देश को सुरक्षित नहीं माना जा सकता। यह केंद्र का दायित्व भी है कि हर नागरिक के स्वास्थ्य को सुरक्षा कवच प्रदान करे। तभी देश में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होंगी।

निस्संदेह, केंद्र की टीकाकरण की नयी नीति कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर इस मायने में साबित हो सकती है कि दूसरी लहर से हुई जन हानि देखकर लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। वे उत्साह के साथ टीकाकरण के लिये आगे आ रहे हैं।

हालांकि, अशिक्षा-धार्मिक कट्टरता के चलते कुछ वर्गों में वैक्सीन को लेकर संशय है। प्रधानमंत्री ने युवाओं व बौद्धिक वर्गों से उन्हें वैक्सीनेशन के लिये प्रेरित करने का आह्वान इसी मकसद से किया है। बहरहाल, एक ओर जहां केंद्र सरकार ने टीकाकरण से जुड़ी आशंकाओं को दूर किया है, वहीं दूसरी ओर देश के 80 करोड़ गरीब तबके को नवंबर तक मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने की घोषणा की है।

महामारी की दूसरी लहर से तमाम काम-धंधों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। हालांकि, कुछ राज्यों में सीमित अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में वक्त लगेगा। ऐसे में कमजोर वर्ग के सामने रोटी की चिंता नहीं होगी तो वे इस संकट के मुकाबले के लिये मजबूती से खड़े होंगे।

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