भगवान का भी हो आधार, तभी बिकेगी फसल
बांदा,संवाददाता। भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और लक्ष्मी-नारायण के आधार कार्ड नहीं हैं। इनके मंदिरों में पैदा हुआ गेहूं बेचने में यह सरकारी शर्त आड़े आ गई है। तर्क दिया जा रहा कि जिसके नाम जमीन है, उसी का आधार कार्ड हो, तभी रजिस्ट्रेशन होगा। नतीजे में चित्रकूटधाम मंडल के 34 मंदिरों में 445 हेक्टेयर जमीन में पैदा हुए गेहूं की बिक्री सरकारी खरीद केंद्रों में अटक गई है।
अधिकारियों ने बगैर रजिस्ट्रेशन गेहूं खरीद से मना कर दिया है। कहा कि मंदिरों से संबद्ध जमीनों का गेहूं खरीदने को रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है, जबकि रजिस्ट्रेशन के लिए आधार जरूरी है। चित्रकूटधाम मंडल के सरकारी खरीद केंद्रों में इन दिनों गेहूं की खरीद चल रही है।
आम किसान तो तमाम जद्दोजहद और कई-कई दिन इंतजार के बाद बमुश्किल अपनी फसल यहां बेच पा रहे हैं, लेकिन धार्मिक स्थलों के नाम दर्ज भूमि में हुई फसल सरकारी शर्तों में फंस गई है। गेहूं बेचने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
यह रजिस्ट्रेशन उसी के नाम होता है जिसके नाम जमीन है। मंदिर या अन्य धार्मिक स्थलों की भूमि संबंधित धार्मिक स्थल के नाम ही अभिलेखों में दर्ज है। खरीद में यही पेच फंस गया है। इन देवताओं या धार्मिक स्थलों के नाम आधार कार्ड नहीं बने हैं। कंप्यूटरीकृत सिस्टम से हो रहे रजिस्ट्रेशन में शर्त है कि खतौनी में दर्ज भूमि मालिक के नाम का ही आधार कार्ड होना चाहिए।
अधिकारियों ने शासनादेश का हवाला देते हुए बगैर रजिस्ट्रेशन के अनाज खरीदने से इनकार कर दिया है। मजबूरन संरक्षकों को अब मंदिर की जमीन में पैदा हुए गेहूं को बाजार में औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है।
अतर्रा तहसील के खुरहंड गांव में स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर के संरक्षक राम कुमार दास का कहना है कि मंदिर में 40 बीघा जमीन भगवान राम-जानकी के नाम अभिलेखों में दर्ज है। सरकारी क्रय केंद्रों में गेहूं बेचने के लिए पहले तो रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा था।
रजिस्ट्रेशन किसी तरह हो गया तो एसडीएम सत्यापन नहीं कर रहे। उनका कहना है कि जमीन मालिक का आधार लाओ। अब भगवान का आधार कार्ड से कहां से लाएं।