प्रशासन की शह पर बांदा की दुरेडी खदान में अवैध खनन जोरों पर है चालू नदियों का अस्तित्व समाप्ति पर है

बाँदा जनपद में अवैध खनन और ओवरलोड ट्रकों का बोलबाला रहता है और प्रशासन इस पर रोक लगाने में असफल है, किसान कभी सूखे की मार, तो कभी अनावृष्टि और ओलावृष्टि से पीड़ित हो रहे हैं लेकिन इन यातनाओं में प्रकृति के साथ-साथ यहां के खनन माफियाओ की किसानों और नदियों को बरबाद करने मे इनकी अहम भूमिका नजर आती है । बांदा की दुरेदी खदान खण्ड-1 में इन दिनों अवैध-खनन जोरो पर है । स्थानीय ग्रामीण गांव छोड़कर जाने को भी मजबूर हो गए हैं पर प्रशासन की मिलीभगत से रात-दिन ओवरलोड ट्रको की धमाचौकड़ी रहती है जिनमे दर्जनों ट्रक थाने-चौकी के सामने से बिना रवन्ना के गुजरते हैं । जब जिम्मेदार अधिकारियों से इस बावत जानकारी माँगी जाती है तब वह अवैध खनन में कुछ भी बोलने से कतराते नजर आते हैं ।
देश की सरकार किसानों की तकदीर और तस्वीर बदलने की लगातार बड़े-२ मंचो से कवायते कर रही है, किसानों की हालात को सुधारने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ हर भरसक प्रयास करने में लगे है लेकिन वही खनन माफियाओं ने बुंदेलखंड के बांदा के किसानों की माली हालत को खराब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी हैं ।
यहां के किसान कभी सूखे की मार, कभी अनावृष्टि और कभी ओलावृष्टि से पीड़ित हैं लेकिन इन यातनाओं में प्रकृति के साथ-साथ यहां के खनन माफिया अवैध-खनन करने से बाज नहीं आ रहे हैं, किसानों और नदियों को बरबाद करने मे इनकी अहम भूमिका नजर आती है । हम बात कर रहे हैं बाँदा की दुरेड़ी खदान खण्ड -1 कि जहां जमकर अवैध-खनन हो रहा है, यहाँ बड़ी-2 मशीनों से नदी का सीना छन्नी करके रात-दिन मोरम निकाली जा रही है ।
किसानों की हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचाई के अभाव में पूरी तरह से सूखने की कगार पर है और इन किसानों की हालत दिनों-दिन बदतर होती चली जा रही है । यहाँ के किसानों का कहना है कि दुरेड़ी में अवैध खनन के चलते खुदाई के कारण यहां की नहरों का पानी सूख चुका है, नहर में जो पानी बचा हुआ है वह खेतों तक नहीं पहुँच पा रहा है और इसका सिर्फ एक कारण है खदानो मे भारी मशीनों से खननहोना ।
किसानों का कहना है कि वर्तमान में सत्ता की हनक के चलते खदान संचालक यहां पर अवैध खनन करवा रहे हैं, इससे पहले इस खदान मे अवैध खनन लग चुका है, नदी पूरी तरह से सूखने की कगार पर है, नहर का पानी पूरी तरह से सूखने की कगार पर है, अगर हम इसकी शिकायत जिलाधिकारी या अन्य अधिकारियों से करते हैं तो यहां हमारी शिकायत सत्ता के दबाव में चलते कोई सुनाई करने वाला नहीं है ।
आखिर कब तक इन किसानों को पानी मिल पायेगा जिससे ये अपनी फसलो को पानी से सिंचाई कर पाएंगे या फिर ये अधिकारी इन खनन माफियाओं के साथ मिलकर अपनी जेबो को भरने में लगे रहेंगे या फिर इस अवैध खनन के चलते यहा की नदियों की शक्ल सूरत तो ये माफिया विगाड़ ही रहे है, वही इन किसानों को भी दिनों दिन ये माफिया उनकी बदहाली को बढ़ावा देने में जुटे हैं ।
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