अंधेरे में उम्मीद
ऐसे वक्त में, जब देश कोरोना महामारी के संकट से कराह रहा है और तंत्र की विफलता उजागर हो रही है, संवैधानिक संस्था के रूप में न्यायपालिका लड़खड़ाते तंत्र को संबल देती नजर आई है। न्यायपालिका की सक्रियता आश्वस्त करने वाली है।
आम लोगों के दु:ख-दर्द को संवेदनशील ढंग से महसूस करते हुए सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्टों ने सरकारों को फटकार लगाई है और व्यवस्था सुधारने के लिये चेतावनी दी है, जिससे नागरिकों का भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास बढ़ा है कि जब सरकारें उदासीन हो जाती हैं तो कोई संस्था तो है जो उनके दु:ख-दर्द बांटने वाली है।
देश में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी किल्लत और टूटती सांसों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इसके नियमन के लिये नेशनल टास्क फोर्स को हरी झंडी दी है जो ऑक्सीजन की उपलब्धता, आपूर्ति का आकलन और वितरण को लेकर सिफारिश करेगी।
इस बारह सदस्यीय टास्क फोर्स में देश के चोटी के चिकित्सा विशेषज्ञों को शामिल किया गया है, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव और टास्क फोर्स के संयोजक, कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होंगे।
टास्क फोर्स न केवल मौजूदा संकट बल्कि भविष्य के लिये भी पारदर्शी और पेशेवर आधार पर महामारी के मुकाबले हेतु जानकारी देगी और रणनीति बनायेगी।
ऐसे वक्त में, जब देश की राजधानी से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन के अभाव में अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों की मौत की खबरें आ रही थीं, यह खबर राहत देने वाली है।
यानी मौजूदा संकट ही नहीं, भविष्य की चुनौतियों के मुकाबले के लिये भी इससे समय रहते रणनीति बनाने में मदद मिलेगी, जो देश में मौजूदा ऑक्सीजन के मूल्यांकन, जरूरत के आकलन और उसका न्यायसंगत वितरण में सहायक होगा।
निस्संदेह देश के जाने-माने अस्पतालों के डॉक्टरों को शामिल करने से इसे व्यावहारिक बनाने में मदद मिलेगी। कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवश्यक दवाओं, मानवशक्ति और चिकित्सा देखभाल के मुद्दों पर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य सिस्टम विकसित करेगा।
इतना ही नहीं, महामारी प्रबंधन को लेकर टास्क फोर्स शोध भी करेगी और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराएगी। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ व जस्टिस एम.आर. शाह की खंडपीठ ने फिलहाल टास्क फोर्स का कार्यकाल छह माह रखा है।
इस अवधि में कार्यबल अपनी रिपोर्ट व सिफारिशें तैयार करेगा। कार्यबल केंद्र के संसाधन का इस्तेमाल जानकारी व सलाह लेने के लिये कर सकता है। नीति आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय जनसांख्यिकी केंद्र, मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा उद्योग मंत्रालय के सचिव इसमें सहयोग करेंगे।
कार्यबल क्षेत्रों के आधार पर एक से अधिक उप-समूह बना सकेंगे। कार्यबल देखेगा कि किस राज्य को वैज्ञानिक, तर्कसंगत व न्यायसंगत आधार पर कितनी ऑक्सीजन की जरूरत होगी।
वहीं इसी बीच डीआरडीओ द्वारा विकसित कोविड की दवा 2-डीजी को औषधि महानियंत्रक द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिये अनुमति दिया जाना सुखद खबर है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह मरीजों को जल्दी ठीक करने और ऑक्सीजन की निर्भरता कम करने में सहायक होगी, जो कुछ सप्ताह में मिलनी शुरू हो जायेगी।