बंगाल से आई युवती से टिकरी बॉर्डर पर गैंग रेप

दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने आई पश्चिम बंगाल की 25 वर्षीय युवती के साथ आंदोलन स्थल पर गैंगरेप की बात सामने आई है।

पीड़ित युवती की 30 अप्रैल को कोरोना से मौत हो चुकी है और अब मामला उसके पिता की ओर से एफआईआर दर्ज करवाने के बाद खुला है। किसान आंदोलन में शामिल 6 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं।

इनके खिलाफ IPC की धारा 365, 342, 354, 376 और 120 बी के तहत रेप, अपहरण, ब्लैकमेलिंग और बंधक बनाकर रखने का मामला दर्ज किया गया है।

पीड़िता की मौत के 8 दिन बाद शनिवार को पिता ने बहादुरगढ़ सिटी थाना में शिकायत दर्ज करवाई और उसके बाद ही यह मामला खुला। किसान आंदोलन से जुड़े अनिल मलिक, अनूप सिंह चनौत, जगदीश बराड़, अंकुर सांगवान, कविता आर्य और योगिता सुहाग के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

एफआईआर की बात सामने आने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि जानकारी मिलते ही सख्त कार्रवाई का फैसला किया गया और आरोपियों के संगठन किसान सोशल आर्मी के टेंट और बैनर 4 दिन पहले हटा दिए गए थे।

इसके अलावा मंच से उनके बहिष्कार की घोषणा की गई। किसान नेता पीड़िता को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं पर वे खुद भी सवालों के घेरे में हैं कि यौन शोषण की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने पहले पुलिस को इसकी सूचना क्यों नहीं दी?

एफआईआर के मुताबिक, आरोपी एक अप्रैल को बंगाल पहुंचे थे। अनिल मालिक, अनुज सिंह चनौत, अंकुश सांगवान और कविता आर्य खुद को किसान सोशल आर्मी के सदस्य बता रहे थे। जगदीश बराड़ ने खुद को कुश्ती किसान यूनियन का सदस्य बताया और योगिता सुहाग ने खुद को स्वतंत्र कार्यकर्ता बताया था।

इनसे प्रभावित होकर युवती पांचों के साथ (अनिल मानिक, अनुज सिंह चनौत, अंकुश सांगवान और कविता ) 11 अप्रैल को हावड़ा से दिल्ली के लिए रवाना हुई।एफआईआर में पिता ने कहा है कि हावड़ा स्टेशन पर मैंने अनिल से कहा कि ग्रुप में आप सबसे सीनियर हैं, तो मेरी बेटी का अपनी बहन की तरह ख्याल रखिएगा। पीड़िता की मां ने कविता से कहा कि वह उनकी बेटी के साथ ही रहे।

शिकायत के मुताबिक, ट्रेन में रात के वक्त जब सब सो गए थे तब अनिल पीड़िता का हाथ पकड़कर उसे किस करने लगा। हालांकि, पीड़िता ने उसे डांट दिया और दोबारा ऐसा न करने की चेतावनी दी। 12 अप्रैल को दिल्ली पहुंचने के बाद टिकरी बॉर्डर पर उसे अनिल मलिक, अनूप सिंह और अंकुर सांगवान के साथ टेंट शेयर करना पड़ा।

पीड़िता ने 14 अप्रैल को पिता को फोन किया और ट्रेन वाली पूरी घटना बताई। साथ ही उसने पिता से यह भी कहा कि अनिल और अनूप अच्छे लोग नहीं है, उस पर दबाव बना रहे हैं और ब्लैकमेल कर रहे हैं।

16 अप्रैल को पीड़िता ने अपने पिता को बताया कि उसने पूरी बात योगिता और जगदीश को बताई है। जगदीश के सामने उसने एक वीडियो स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड किया था। 18 अप्रैल को पीड़िता को लड़कियों के साथ टेंट में शिफ्ट कर दिया गया और उसके बाद 21 अप्रैल को हल्का बुखार आने के बाद 24 अप्रैल तक उसकी स्थिति बगड़ने लगी।

भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, उधर, 21 अप्रैल को बेटी की तबीयत खराब होने के बाद पिता ने दिल्ली में डॉक्टर अमित को इसकी जानकारी दी। डॉक्टर अमित ने इस बारे में योगेंद्र यादव से बात की तो मामला खुलने के डर से आरोपी युवती को कहीं और शिफ्ट करने लगे।

योगेंद्र यादव ने आरोपियों से फोन पर बात की और युवती को टिकरी लाने के लिए कहा।आरोपी युवती को टिकरी बॉर्डर पहुंचाकर फरार हो गए। 26 अप्रैल को उसे कोरोना के लक्षणों के साथ बहादुरगढ़ के एक अस्पाल में भर्ती कराया गया, जहां 30 अप्रैल को उसकी मौत हो गई।

आरोप है कि किसान संगठनों ने मौत के बाद युवती को शहीद बताकर शहर में खुली जीप में शवयात्रा निकाली, लेकिन पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी।

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