सभी काल दूर हो जाते हैं महाकाल के दर्शन मात्र से
उज्जैन स्थित 'महाकालेश्वर' मंदिर,
महाकालेश्वर मंदिर के निर्माण और स्थापना को लेकर भी बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं और इनका पुराणों तक में वर्णन है।
पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि जब सृष्टि की रचना हो रही थीए उस समय सूर्य की 12 रश्मियां सबसे पहले धरती पर गिरीं और उन्हीं से धरती पर 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भी उन्हीं सूर्य रश्मि से उत्पन्न हुआ एक ज्योतिर्लिंग है।
कहा जाता है कि उज्जैन की पूरी धरती श्उसरश् यानी की उपजाऊ नहीं है और इसलिए इसे शमशान भूमि भी कहा जाता है। यहां स्थित महाकालेश्वर का मुख भी दक्षिण दिशा की ओर है इसीलिए तंत्र मंत्र की क्रिया करने वाले लोग विशेष रूप से इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
महाकाल के इस मंदिर में और भी बहुत सारे देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं जिसमें माता पार्वती और गणेश तथा कार्तिकेय भगवान का नाम आता है। इतना ही नहीं महाकाल की नगरी उज्जैन में हर सिद्धि भगवानए काल भैरव भगवानए विक्रांत भैरव आदि देवताओं के भी मंदिर स्थापित हैं।
महाकाल मंदिर के प्रांगण में एक कुंड बना हुआ है और कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने के बाद मनुष्य के सारे पापए दोषए संकट उसके ऊपर से हट जाते हैं।
वैसे तो महाकाल के दर्शन आप 12 महीने कर सकते हैंए लेकिन कार्तिक पूर्णिमाए बैशाख पूर्णिमा और दशहरे के अवसर पर यहां विशेष रूप से मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें भारी मात्रा में लोग शामिल होते हैं और बाबा भोलेनाथ के दर्शन के साथ ही मेले का आनंद लेते हैं।