बंगाल में NRC का खौफ, बर्थ सर्टिफिकेट के लिए लग रही लंबी कतारें
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लागू होने का खौफ ऐसा है कि राजधानी कोलकाता में विगत कुछ दिनों से जन्म प्रमाण पत्र समेत पहचान संबंधी अन्य दस्तावेज बनाने के लिए लंबी कतारें लगने लगी है। कोलकाता नगर निगम के बाहर लोगों का तांता पिछले शुक्रवार से ही देखा जा सकता है जो लगातार जारी है। बुधवार सुबह से ही लोग नगर निगम में पहुंच रहे हैं और अपने बच्चों तथा अन्य परिजनों के लिए जन्म प्रमाण पत्र हेतु लगातार आवेदन कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर अल्पसंख्यक हैं।
बताया गया है कि राज्य में एनआरसी लागू होने की आशंका से ये लोग जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर रहे हैं ताकि अगर नागरिकता संबंधी दस्तावेजों की जरूरत पड़े तो उनके पास पुख्ता साक्ष्य हो। कोलकाता नगर निगम में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी सुब्रत बनर्जी ने कहा कि उन्होंने जन्म प्रमाणपत्र के लिए पहले कभी इतनी भीड़ नहीं देखी। बनर्जी ने कहा, ‘हमारा विभाग एक दिन में 100 जन्म प्रमाणपत्र जारी कर सकता है। पिछले 3 दिन से हमें 250 आवेदन मिल रहे हैं।’ नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि शहर के अस्पतालों में बच्चों के पैदा के पैदा होने की दर में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। बावजूद इसके जन्म प्रमाण पत्र और पहचान संबंधी अन्य दस्तावेजों के लिए लोगों का मजमा नगर निगम में लग रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर आवेदनकर्ता 40 से 50 साल और कई तो 60 साल या उससे ऊपर के हैं। ये लोग या तो अपना जन्म प्रमाणपत्र चाहते हैं या यह जानकारी लेते हैं कि वे कैसे जन्म प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं। जो लोग 40 के ऊपर के हैं, उनका जन्म रेकॉर्ड नहीं है, क्योंकि केएमसी 1980 के आसपास तक जन्म प्रमाणपत्र जारी नहीं करती थी। ऐसे लोग जो 1980 के पहले जन्म लिए हैं वे नगर निगम के अधिकारियों से लगातार अपनी नागरिकता संबंधी दस्तावेज के बारे में पूछताछ कर रहे हैं जो इस बात का प्रमाण है कि इन लोगों में एनआरसी लागू होने का खौफ फैला हुआ है।
डिजिटल राशन कार्ड जारी कर रही सरकार
– नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त वह बताया कि जिनके पास पहचान संबंधित दस्तावेज नहीं है, उन्हें नगर निगम की ओर से डिजिटल राशन कार्ड देने की व्यवस्था की जा रही है। आवेदन करने वाले अधिकतर लोग ऐसा कह रहे हैं कि डिजिटल राशन कार्ड रहने पर भी अपना आधार कार्ड बनवा सकते हैं जो उनकी पहचान से संबंधित दस्तावेज होगा। अधिकारी ने कहा, ‘जिन लोगों ने अपना पूरा जीवन बिना जन्म प्रमाणपत्र के गुजार दिया, वे लोग अचानक इस बात के लिए परेशान है कि उन्हें एक दस्तावेज मिल जाए जो यह साबित कर दे कि उनका जन्म यहां हुआ है।’
पश्चिम बंगाल सरकार जिस प्रकार सुनियोजित तरीके से डिजिटल राशन कार्ड जारी कर रही है, उससे लोगों में ऐसी अटकलें बढ़ गई हैं कि राज्य में एनआरसी की प्रकिया कभी भी शुरू हो सकती है। केएमसी के सोशल सेक्टर डिपार्टमेंट के सूत्रों ने बताया कि उन्हें कहा गया है कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजार रहे लोगों को गैर पीडीएस डिजिटल राशन कार्ड जारी किया जाए जिसका इस्तेमाल वे जरूरत पड़ने पर एनआरसी से बचाव के लिए कर सकते हैं। गैर पीडीएस राशन कार्ड एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें लोगों को राशन तो नहीं मिलता है लेकिन पहचान संबंधी दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। बंगाल सरकार ने अपनी तरह की यह अलग पहल की है। देश में कहीं भी इस तरह का राशन कार्ड फिलहाल वितरित नहीं किया जाता है। माना जा रहा है कि बंगाल में एनआरसी से आशंकित लोगों को बचाने के लिए ही ममता सरकार ने इसकी शुरुआत की है।
और तीन ने दे दी जान
राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) में नाम शामिल कराने की चिंता ने पिछले 24 घंटे में तीन लोगों की जान ले ली है. इनमें से पहली घटना जलपाईगुड़ी जिले के धूपगुड़ी शहर के 15 नंबर वार्ड में हुई है, जहां श्यामल राय (40) ने अपने घर के सामने पेड़ की डाल से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। वहीं, दूसरी घटना जलपाईगुड़ी के कोतवाली थानांतर्गत बहादुर इलाके में हुई है, जहां साबेर अली (42) नामक दिव्यांग व्यक्ति ने कुएं में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। तीसरी घटना कूचबिहार एक नंबर प्रखंड के घुघुमारी ग्राम पंचायत अंतर्गत हवा गाड़ी इलाके की है। यहां अर्जीना खातून नामक महिला ने आधार कार्ड की गड़बड़ी ठीक नहीं रहने के कारण गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है. जानकारी के अनुसार, मंगलवार को हुई इन घटनाओं के बीच एक समानता है कि तीनों एनआरसी को लेकर दुश्चिंता में थे. आशंका जतायी गयी है कि इन्होंने अत्यधिक मानसिक दबाव के चलते आत्महत्या का निर्णय लिया है। हालांकि पुलिस सभी मामलों में शव को कब्जे में लेकर छानबीन कर कारणों की तफ्तीश कर रही है. इससे पहले कथित तौर पर एनआरसी की आशंका में तनाव के चलते छह लोगों की मौत हो चुकी है।