केंद्र की नमस्ते योजना में शामिल होंगे गुरुग्राम के कूड़ा बीनने वाले, स्वास्थ्य बीमा सहित मिलेंगे ये फायदे

कूड़ा बीनने वालों के लिए एक अच्छी खबर है। गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा बीनने वाले पांच हजार से अधिक लोगों को अब केंद्र सरकार की ‘नमस्ते योजना’ में शामिल किया जाएगा। जून में हुई स्थायी वित्त समिति की बैठक में इसे हरी झंडी मिल चुकी है। इसको लेकर शहरी स्थानीय निकाय विभाग को भी इसका नोटिफिकेशन मिल गया है।

योजना को लागू करने और कूड़ा बीनने वालों को इसका लाभ दिलाने के लिए के लिए प्रदेश के सभी नगर निगम को पत्र लिखा गया है। योजना में शामिल होने से कूड़ा बीनने वाले लोगों को सरकार की कई योजनाओं को फायदा तो मिलेगा ही, साथ में उन्हें कूड़ा उठाने के लिए पीपीई किट समेत स्वास्थ्य बीमा का भी लाभ मिलेगा। इसको लेकर उन्हें नगर निगम की तरफ से सही तरीके से कूड़ा बिनने का विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

केंद्र सरकार ने सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों के कल्याण के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना, नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन ईकोसिस्टम (नमस्ते) योजना शुरू की गई है। इसमें पूर्ववर्ती मैनुअल स्कैवेंजर्स (एमएस) के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार के घटक शामिल हैं। स्थायी वित्त समिति ने 20 जून को आयोजित अपनी बैठक में वित्त वर्ष 2024-25 से ‘नमस्ते योजना’ में तीसरे घटक के रूप में कचरा बीनने वालों को शामिल करने को मंजूरी दे दी थी।

योजना में कचरा बीनने वाले घटक का मुख्य उद्देश्य ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में कचरा बीनने वालों को एकीकृत करना है। अपशिष्ट संग्रहण, पुनर्प्राप्ति और पुनर्चक्रण में उनके योगदान को मान्यता देना और उसे मजबूत करना है, उन्हें मान्यता प्रदान करना, सुरक्षित और टिकाऊ कार्य वातावरण प्रदान करना, सामाजिक सुरक्षा, एबी-पीएमजेएवाई के अंतर्गत स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान करना और विभिन्न योजनाबद्ध और गैर-योजनाबद्ध हस्तक्षेपों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाकर सुरक्षित करना योजना का मकसद है।

सफाई मशीनों के लिए सब्सिडी समेत ये सुविधाएं मिलेंगी

● डिजिटल ऐप्लिकेशन के जरिये इन कर्मचारियों की पंजीकृत करना।

● पीपीई किट, सुरक्षा उपकरण, और स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलेगा।

● व्यावसायिक सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान उन्हें स्वच्छता से जुड़े वाहनों और मशीनों के लिए सब्सिडी मिलेगी।

● खुद का स्वच्छता उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

● सुरक्षा और सम्मान के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

● मानव मल के साथ सीधे संपर्क से बचाया जाएगा।

● आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयों (ईआरएसयू) में शामिल किया जाएगा। कामकाज के दौरान सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाएगा।

शहरों में कचरे के पहाड़ बढ़ने की वजह से दिक्कत

वर्ष 2000 में देश के पहले नगरपालिका ठोस अपशिष्ट नियमों का उद्देश्य सुरक्षित लैंडफिल में कचरे को इकट्ठा करना, परिवहन और निपटान करना था। यह नीति अप्रभावी साबित हुई और शहरों में कचरे के पहाड़ बढ़ गए। सरकार ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 को अधिसूचित किया, जिसने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) में प्रतिमान बदलाव की आवश्यकता को सामने लाया।

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