भारत बनाम इंडिया विवाद हुआ तेज, जानिए पूरा मामला
भारत बनाम इंडिया (India Vs Bharat Row) का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ समय पहले G20 के दौरान भारत सरकार द्वारा जब इंडिया का नाम भारत किया गया तो ये मुद्दा और तेज हो गया। इसके बाद से ही देश के नाम को बदलने की भी अटकलें तेज हो गईं थी।
वहीं, अब एक बार फिर से NCERT की किताबों (Bharat In NCERT Books) में इंडिया की जगह भारत नाम लिखने का फैसला आने के बाद से ये मुद्दा उठ गया है।
कुछ निराश लोग भारत-इंडिया नाम को लेकर कर रहे प्रतिस्पर्धा- प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कहा कि कुछ “निराश लोग” देश की पहचान “भारत” करने को लेकर विवाद पैदा करने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, धर्मेंद्र प्रधान गुजरात के नर्मदा जिले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास टेंट सिटी में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन पर पश्चिमी क्षेत्र के कुलपतियों के सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र में गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित कर रहे थे।
भारत हमारे देश का नाम है- प्रधान
अपने संबोधन में प्रधान ने कहा, पिछले कुछ समय से इस बात पर विवाद चल रहा है कि हमारे देश को ‘इंडिया’ या ‘भारत’ के नाम से जाना जाना चाहिए। लेकिन फर्क क्या है? मेरा मानना है कि इंडिया और भारत में कोई अंतर नहीं है। भारत हमारे देश का नाम है।
उन्होंने आगे कहा कि इंडिया नाम उन लोगों द्वारा दिया गया था जो औपनिवेशिक काल के दौरान अंग्रेजी साहित्य पढ़ते थे।
प्रधान ने कहा, हमारे संविधान ने इंडिया और भारत दोनों को समान महत्व दिया है और भारत एक भारतीय नाम है, एक मूल नाम है। यह हमारी सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन, कुछ निराश लोगों के मन में इसे लेकर विवाद खड़ा करने की होड़ चल रही है।
विपक्षी दलों ने उठाएं थे सवाल
उनकी यह टिप्पणी कई विपक्षी दलों के नेताओं के विरोध के एक दिन बाद आई है जिसमें विपक्षी नेताओं ने कहा था कि NCERT पैनल ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” की जगह “भारत” की सिफारिश की और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा इतिहास बदलना चाहती है और विपक्षी गुट इंडिया के हाथों अपनी हार के डर से ऐसे हताश कदम उठा रही है।
विपक्षी समूह द्वारा यूपीए से अपना नाम बदलकर भारत करने के बाद बीजेपी सरकार पर भारत नाम को अधिक महत्व देने का आरोप लगाया गया है।
भारत की अध्यक्षता में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए, धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उभरते कौशल की पहचान के महत्व को रेखांकित किया था और शिखर सम्मेलन के दौरान अपील की थी कि गरीब और अल्प-विकसित देशों की आकांक्षाओं को पूरा करना भारत और विकसित देशों का कर्तव्य है।
प्रधान ने कहा, हालांकि भारत एक विकसित राष्ट्र नहीं है, लेकिन हमने यह जिम्मेदारी ली है। हम छोटी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करेंगे। अब तक, लगभग 25 देश मेरे संपर्क में हैं क्योंकि वे हमसे हमारी ज्ञान प्रणाली साझा करने की अपेक्षा करते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ देशों ने पहले ही अपने देशों में भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग और बिजनेस स्कूल – आईआईटी और आईआईएम खोलने में गहरी रुचि व्यक्त की है।