अक्षय तृतीया के दिन जरूर ये काम, सभी मनोकामनाए होगी पूर्ण

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया बोला जाता है। अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी का दिन होता है। वही इस वर्ष अक्षय तृतीया का त्यौहार 22 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को प्रातः 07 बजकर 49 मिनट से आरम्भ होकर 23 अप्रैल प्रातः 07 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। किसी भी मांगलिक कार्य के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत अच्छा माना जाता है। 

वही पुराणों के मुताबिक, इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान,दान,जप,स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इसलिए इसे ’कृतयुगादि’ तिथि भी कहते हैं। मत्स्य पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन अक्षत पुष्प दीप आदि द्वारा प्रभु श्री विष्णु की आराधना करने से विष्णु भगवान की खास कृपा प्राप्त होती है तथा संतान भी अक्षय बनी रहती है।
 
दीन दुखियों की सेवा करना, वस्त्रादि का दान करना तथा शुभ कर्म की तरफ अग्रसर रहते हुए मन वचन व अपने कर्म से अपने मनुष्य धर्म का पालन करना ही अक्षय तृतीया पर्व की सार्थकता है। कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन प्रभु श्री विष्णु की उपासना करके दान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से निश्चय ही अगले जन्म में समृद्धि, ऐश्वर्य व सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सामर्थ्य अनुसार जल, अनाज, गन्ना, दही, सत्तू,फल,सुराही,हाथ से बने पंखे वस्त्रादि का दान करना खास फल प्रदान करने वाला माना गया है।

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