इनकम टैक्स के रडार पर अखिलेश यादव के बेहद करीबी पूर्व IAS अधिकारी, पूछताछ के लिए भेजा समन

दिल्ली/लखनऊ। उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहें अखिलेश यादव सहित अन्य नेताओं के बेहद करीबी रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपक सिंघल अब जांच एजेंसी इनकम टैक्स के रडार पर आ गए हैं. कभी बेहद तेजतर्रार अधिकारी के तौर पर चर्चित रहे IAS अधिकारी सिंघल को इनकम टैक्स की टीम ने पूछताछ के लिए समन भेजा है और लखनऊ स्थित दफ्तर में पूछताछ के लिए बुलाया है. 1982 बैच के आईएएस अधिकारी रहें दीपक सिंघल उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव पद पर भी रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लंबे समय तक कार्यरत रहने के बाद वो साल 2016 में मुख्य सचिव पद पर तैनात हुए थे.

उत्तर प्रदेश में सरकारी योजनाओं में सेंध लगाने वाले कई भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट समेत अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों और बिचौलियों के खिलाफ हुई इनकम टैक्स की कार्रवाई द्वारा इसी साल जुलाई में  “ऑपरेशन बाबू साहब ” के कोडवर्ड से एक विशेष ऑपरेशन की शुरुआत की गई थी. जिसके अंतर्गत कई भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ इनकम टैक्स की कार्रवाई चल रही है. इसी मामले की तफ्तीश के दौरान कुछ अन्य आरोपी अधिकारियों और हवाला कारोबारियों से IAS दीपक सिंघल के संबंधित कुछ महत्वपूर्ण इनपुट मिलने के बाद उसकी सत्यता को जांचने और परखने के लिए दीपक सिंघल को पूछताछ के लिए समन भेजा गया है. हालांकि सूत्र बताते हैं कि इनकम टैक्स को हाल में ही कई सबूत और महत्वपूर्ण दस्तावेजों की कॉपी बरामद हुई है. उसके मुताबिक कोलकाता स्थित दो फर्जी कंपनियों के मार्फत दीपक सिंघल और उनसे संबंधित कंपनियों के मार्फत संधिग्ध तरीके से करीब 50 करोड़ रुपये अवैध तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है.

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50 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति की खबर

इनकम टैक्स के सूत्र के मुताबिक इस “ऑपरेशन बाबू साहब  ” के तहत पिछले कुछ समय पहले की गई छापेमारी के दौरान कई शैल कंपनियों के बारे में भी जानकारी और दस्तावेजों को जब्त किया गया है , लेकिन उस शैल कंपनियों का वास्ता किन -किन अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ है और उसका प्रयोग -दूरूप्रयोग कैसे किया जाता था ,इस मामले में आगे पड़ताल की जा रही है. इनकम टैक्स के वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक IAS सिंघल द्वारा  करीब 50 करोड़ की अवैध तौर पर अर्जित रुपयों को दिल्ली, आगरा, नोएडा स्थित कई प्रोपर्टी डीलर और कंपनियों के साथ मिलकर उसे रियल एस्टेट सेक्टरमें निवेश करने का मामला सामने आया है. जिसे पूछताछ के दौरान इनकम टैक्स की टीम तफ़्तीश करेगी।

सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का हवाला कनेक्शन 

इनकम टैक्स की टीम को छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत मिले हैं , जिसकी विस्तार से तफ्तीश करवाई जा रही है. सूत्रों की अगर मानें तो छापेमारी के दौरान कई अन्य आरोपियों और बिचौलियों के पास से कई ऐसे सबूत मिले हैं कि कुछ हवाला कारोबारियों के साथ कुछ सरकारी अधिकारी लगातार जुड़े हुए थे और उसके कनेक्शन का फायदा भी उठा रहे थे. हवाला करोबारियों के द्वारा कुछ करेंसी का नंबर दिया गया था, जो पैसों के लेनदेन के लिए कोर्डवर्ड के तौर पर प्रयोग किया जाता था. इसके साथ ही इनकम टैक्स के सूत्र ये भी बताते हैं कि छापेमारी की प्रकिया से बचने के लिए और फोरेंसिक ऑडिट की प्रकिया से बचने के लिए भी कई अन्य आरोपियों और बिचोलियों को उचित ट्रेनिंग करवाई गई थी. सर्च ऑपरेशन के दौरान मिले सबूतों के आधार पर ये जानकारी मिली है. अगर ऐसी खबर है तो वो कौन -कौन अधिकारी हैं जो आरोपियों के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था करवाए थे.

जुलाई अगस्त में हुई थी 22 ठिकानों पर छापेमारी

केन्द्रीय जांच एजेंसी इनकम टैक्स ने 18 जुलाई और 31 अगस्त को दो बड़े ऑपरेशन को अंजाम देते हुए उत्तर प्रदेश में  कई ब्यूरोक्रेट के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम देते हुए कई लोकेशन पर  छापेमारी शुरू की थी . इस ऑपरेशन के तहत वो अधिकारी रडार पर हैं जो सरकारी फंड का दूरूपयोग करके व्यक्तिगत लाभ लेते हैं और घोटाले कि बुनियाद तैयार करते हैं. जिसके बाद उसी कड़ी में उससे जुड़े कई सीनियर और जुनियर अधिकारी और कर्मचारी द्वारा फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जाता है. इस ऑपरेशन के तहत अगस्त में 22 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को की गई थी. हालांकि इससे पहले ऑपरेशन पार्ट -1 के तहत 18  जुलाई को  दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर सहित कुल 19 लोकेशन पर छापेमारी को अंजाम दिया गया था. उसी सर्च ऑपरेशन के दौरान कई महत्वपूर्ण सबूतों को इकट्ठा किया गया.

कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के उद्योग विभाग, उद्धमिता विकास संस्थान, उद्धमिता प्रशिक्षण संस्थान सहित  कई संस्थान के कई वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट सहित कई अन्य अधिकारियों का ट्रांसफर भी इसी कार्रवाई के बाद हुए एक्शन के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकी उद्योग विभाग में काफी वरिष्ठ पद पर ये तैनात थे. उनके संस्थान में हुए फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने के बाद कई अन्य कर्मचारियों के यहां छापेमारी की गई , लिहाजा कई अन्य आरोपियों के बारे में जांच एजेंसी द्वारा उद्योग विभाग के कई लोगों से पूछताछ की जा सकती है.

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