ये 5 जोखिम बनते हैं युवा होने पर हार्ट स्ट्रोक का कारण
वैज्ञानिकों ने बच्चों में पांच ऐसे जोखिम कारकों का पता लगाया है, जो वयस्क होने के बाद स्ट्रोक और दिल का दौरा जैसी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। शोध के निष्कर्ष न्यू इंग्लैंड ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित किए गए। शोध में दावा किया गया है कि अगर बचपन में ही बच्चों की सेहत और पोषण पर ध्यान दिया जाए तो उन्हें आगे चलकर कई जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है।
अध्ययन में बचपन के पांच कारकों को वयस्कता और बढ़ती उम्र के साथ गंभीर हृदय रोगों का खतरा बढ़ाने वाला बताया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि शुरुआत से ही इन समस्याओं पर ध्यान देकर इनमें सुधार के प्रयास किए जाएं तो हृदय रोगों की समस्याओं को 50 तक कम किया जा सकता है।
ये हैं पांच कारक ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल चाइल्डहुड कार्डियोवास्कुलर कंसोर्टियम और मर्डोक चिल्ड्रेन रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने बताया, बच्चों में बढ़ा हुआ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और कम उम्र में धूम्रपान की आदत, ये वे पांच कारक हैं जो 40 की उम्र तक में हृदय संबंधी गंभीर रोगों, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा सकते हैं।
अध्ययन में ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और अमेरिका के तीन से 19 वर्ष की आयु वाले 38,000 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। इनकी 35 से 50 वर्ष की आयु तक निगरानी की गई। अंत में शोधकर्ताओं ने पाया कि आधे से अधिक बच्चों में हृदय संबंधी समस्याएं मिलीं। इनमें से अधिकतर बच्चों को कम उम्र में ही पांच में से कोई न कोई एक जोखिम कारक था।
अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर टेरेंस ड्वायर ने बताया कि हृदय रोगों के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं। मौजूदा समय में कई तरह की प्रभावी दवाइयां और इलाज की उपलब्धता जरूर है, पर बचपन से ही अगर जोखिम कारकों पर ध्यान दिया जाए तो इन रोगों से आगे चलकर काफी हद तक बचाव करने में सफलता पाई जा सकती है।