आज हनुमान जी के इन मुद्राओं के दर्शन
हनुमान जी की विभिन्न मुद्राओं की प्रतिमाओं के अलग-अलग मायने हैं। आमतौर पर कुल 9 मुद्राओं में हनुमान जी की प्रतिमा बनायी जाती है। हनुमान मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इसमें विश्राम की मुद्रा वाली मूर्ति काफी कम जगहों पर है। भागलपुर के परबत्ती में यह प्रतिमा बनायी गई है।
इस तरह की हनुमान जी की एक प्रतिमा वाराणसी में भी है। विश्राम की मुद्रा वाली प्रतिमा में हनुमान लेटे हुए दिखाये गए हैं। तिलकामांझी महावीर मंदिर के पुजारी आनंद झा और घंटाघर संकट मोचन दरबार के पुजारी दिलीप झा ने अलग-अलग मुद्राओं के हनुमान जी की प्रतिमा के बारे में कुछ जानकारी दी।
यह बल का संदेश देता है। बजरंगबली की ये मुद्रा लोगों के अंदर साहस, बल, विश्वास और जिम्मेदारी का विकास पैदा करता है। जब कोई संकट या विपदा से घिरे हों कोई बड़ी जिम्मेदारी हो तो इस मुद्रा के हनुमान जी का सुमिरन करना चाहिए। यदि आपका मंगल अशुभ हो तो लाल रंग वाले हनुमान जी की तस्वीर को घर में लगाना चाहिए।
इससे गृह कलह से भी छुटकारा मिलता है। लोगों को तरक्की के रास्ते मिलते हैं। यह मुद्रा घंटाघर के पास मंदिर में है। विश्राम की मुद्रा में हनुमान जी की वो प्रतिमा होती है जिसमें वे जमीन पर लेटे हुए हैं।
मान्यता है कि संजीवनी का पर्वत लाने के बाद भगवान हनुमान इस मुद्रा में थे। इस मुद्रा की पूजा करने से जीवन में स्थिरता और शांति की प्राप्ति होती है। जिस तस्वीर में हनुमान जी भगवान श्रीरामजी के चरणों में बैठे हों, उससे भक्ति का भाव आता है।
ऐसी तस्वीर की पूजा करने से मनुष्य के अंदर सेवा और समर्पण की भावना का विकास होता है। धर्म, कार्य के प्रति समर्पण के लिए इस तस्वीर की पूजा करनी चाहिए।
ध्यान की मुद्रा में बैठे हनुमानजी की पूजा करने से मनुष्य को मानसिक शांति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी तस्वीर की पूजा उन्हें जरूर करनी चाहिए जो तनाव में रहते हों।