कुम्हड़ा की फसल से उम्मीद लगाए किसान हो गए मायूस
फसल मे बारिश का पानी भरा रहने से कुम्हड़ा का अधिकांश फल सड़ा
हमीरपुर। कानपुर और आगरा मंडल में होने वाली सफेद कुम्हड़ा की फसल में अच्छा लाभ कमाते देख जिले के किसानों ने भी खरीफ सीजन में इसकी खेती पर दांव लगाया।
सैकड़ों किसानों ने फसल तैयार की, लेकिन इस बार मौसम ने साथ नहीं दिया। लगातार हुई बारिश से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। खेतों में तैयार सफेद कुम्हड़ा का फल सड़ गया है।
किसानों का कहना है कुसमरा निवासी दिग्विजय सिंह ने गतवर्ष घाटमपुर निवासी एक किसान को 25 बीघे जमीन बलकट (ठेके) में दी थी।
जिसने सफेद कुम्हड़ा की खेती की। बताया बाहर के व्यापारी ने खेत से ही एक लाख रुपये प्रति बीघा की दर से 25 लाख का कुम्हड़ा खरीद ले गए थे।
इसी के बाद करीब 400 बीघे में किसानों ने कुम्हड़ा की फसल तैयार की है। किसानों ने कहा पिछले दिनों लगातार बारिश में तैयार खेत में पड़ा कुम्हड़ा का फल सड़ चुका है!
इनबॉक्स- सफेद कुम्हड़ा की खेती जलभराव की जमीन पर नहीं करनी चाहिए। बार-बार बारिश होने से फसल में फंगीसाइड रोग लगता है।
जिससे फूल व फल खराब हो जाता है। किसान को कावेंडाजीन व मैंकोजेब दवा का छिड़काव दो से ढाई एमएल प्रति लीटर की दर से करना चाहिए या फिर आक्सीक्लोराइड दवा दो ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
ग्रोथ बढ़ाने को सागरिका को दो से ढाई एमएल लीटर छिड़काव कर सकते हैं।- डा. प्रशांत, कृषि वैज्ञानिक*चकोठी निवासी भारत सिंह ने कहा 21 बीघे में कुम्हड़ा लगाया था।
मई में खेत में पलेवा कर तैयार किया! जुताई, बुवाई, खाद, बीज व लेवर में उनका करीब एक लाख खर्च हुआ! लेकिन बारिश में फसल पानी से भरी रहने से पौध सड़ गई। वहीं अन्ना मवेशियों ने भी फसल नष्ट कर दी।
मौसम साफ होने पर जुताई कर फसल की तैयारी करेंगे।रिठारी निवासी सुनील गुप्ता ने बताया कि मिलकर 30 बीघा खेत तीन लाख में ठेके पर लिया है। जिसमें 10 बीघे में मूंगफली लगाई है।
बताया कि राजपुर में एक मित्र को कुम्हड़ा की खेती करते देख उन्होंने 20 बीघे में इस फसल को तैयार की। बताया गर्मी के मौसम में मई माह में खेत का पलेवा कर तैयार किया था। ठेके पर खेत लेने के साथ तमाम खर्च के बाद करीब छह लाख लग गए हैं।