महाराष्ट्र के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा दिया

महाराष्ट्र के चुनाव प्रचार में पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोग यह हजम नहीं कर पा रहे हैं कि दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोग भी विकास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने आरक्षण विरोधी नीतियों को लागू किया था। राजीव ने तो ओबीसी कोटे का ही विरोध किया था। आज वे लोगों को ओबीसी, दलित और आदिवासी के नाम पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं। यह भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश है। इस तरह पीएम नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के बीड की रैली से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नारे को ही आगे बढ़ाया।
योगी आदित्यनाथ लगातार यह नारा दोहरा रहे हैं कि बंटोगे तो कटोगे। इसी तरह जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी एकजुट रहने पर जोर दिया तो कहा गया कि क्या संघ ने योगी के नारे को मान्यता दे दी है। अब उसी को आगे बढ़ाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘एक हैं तो सेफ हैं’ की बात कही। अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों है कि आरएसएस लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक एक तरह से योगी आदित्यनाथ के नारे को ही दोहराया है। इसके मायने भी हैं। भाजपा को लगता है कि हरियाणा में उसे दलित और ओबीसी मतदाताओं के अच्छे समर्थन के चलते ही जीत मिली है। यदि इसे महाराष्ट्र में दोहरा लिया जाए तो नतीजा अच्छा हो सकता है।
ऐसे में लगातार एकता की बात कही जा रही है। महाराष्ट्र के ही समीकरण इसका जवाब देते हैं। लोकसभा चुनाव में अमरावती, औरंगाबाद समेत कई मुस्लिम बहुल इलाकों में इस बार भाजपा को हार मिली थी। इसकी वजह मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण और हिंदू वोटों का बंटवारा भी माना जा रहा है। ऐसे में भाजपा नहीं चाहती कि इस बार लोकसभा जैसी तस्वीर उभरे। इसके लिए वह कई महीनों से ऐक्टिव भी है। एक तरफ उसने बौद्ध धर्म अपनाने वाले दलितों को लुभाने के लिए किरेन रिजिजू को उतारा है तो वहीं लगभग 11 फीसदी हिंदू दलितों को भी वह अपने पाले में रखना चाहती है। इसलिए एक हैं तो सेफ हैं या फिर बंटोगे तो कटोगे का नारा उसे जम रहा है।
मराठा आंदोलन की काट का भी है प्लान
इसके अलावा मराठा आरक्षण के लिए हुए आंदोलन से भी भाजपा को थोड़ा झटका लगने का डर है। ऐसे में मराठा कार्ड की काट के लिए वह ओबीसी वोटरों का समर्थन चाहती है। इस काम में उसकी मदद यह नारा कर सकता है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी विजयादशमी के अपने संबोधन में कहा था कि कार्यकर्ताओं को दलित बस्तियों में जाना चाहिए और उनसे अच्छे संबंध रखने चाहिए। इसके अलावा भाजपा को लगता है कि जैसे 4 महीने पहले मुस्लिमों का ध्रुवीकरण महाविकास अघाड़ी के पक्ष में था। वैसा इस बार नहीं होगा। इसके अलावा उद्धव ठाकरे के कैंडिडेट्स के लिए भी उनका समर्थन शायद न मिले।