शिंदे ने कुणाल कामरा पर हमला करके खतरे को बढ़ाया, शिवसेना UBT की मुश्किलें बढ़ीं

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उनका हास्यबोध बहुत अच्छा है। वे हमेशा एक अच्छे जोक के साथ तैयार रहते हैं। उनके पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा मुंबई में कुणाल कामरा द्वारा जिस स्टूडियो में नई वीडियो रिकॉर्ड की गई थी वहां उनके कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ मचा दी। इस मामले पर शिंदे ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “मैं तोड़फोड़ को सही नहीं ठहराता लेकिन मेरे कार्यकर्ताओं के भी जज्बात होते हैं और कुछ एक्शन के लिए रिएक्शन होते हैं।”

एकनाथ शिंदे ने कुणाल कामरा के 45 मिनट लंबे कॉमेडी स्पेशल ‘नया भारत’ में उनके दो मिनट के व्यंग्य और पार्टी द्वारा की गई तोड़फोड़ को अपने लिए एक मजबूत कदम के रूप में इस्तेमाल किया। शिंदे को महाराष्ट्र के बाहर बहुत कम पहचाने जाते थे। वह 40 शिवसेना विधायकों के साथ मुख्यमंत्री पद पर काबिज हो गए। चुनाव आयोग ने बाद में यह निर्णय लिया कि उनकी धारा को पार्टी का नाम और चिह्न (धनुष और बाण) का अधिकार है। हालांकि उद्धव खेमा शिंदे को गद्दार कहता रहा।

इसके बाद नवंबर 2024 विधानसभा चुनाव में महायुति की बड़ी जीत हुई। इस चुनाव में शिंदे की पार्टी को 57 सीटें मिलीं जबकि शिवसेना (UBT) को केवल 20 सीटें मिलीं। इसके बाद शिंदे ने यह दावा करना शुरू कर दिया कि असली शिवसेना वही हैं। चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद शिंदे को मुख्यमंत्री का पद देवेंद्र फडणवीस को सौंपना पड़ा, जिनकी पार्टी भाजपा ने 132 सीटों पर जीत हासिल की।

शिंदे की राजनीति की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि वह उद्धव ठाकरे को राजनीतिक रूप से समाप्त कर दें ताकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पहली बार बीएमसी चुनाव में जीत मिल सके। यही कारण है कि उन्होंने ‘ऑपरेशन टाइगर’ लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य उद्धव ठाकरे को हराना और शिवसेना (UBT) की राजनीतिक पकड़ को कमजोर करना है।

ऑपरेशन टाइगर

शिवसेना का एक मजबूत गढ़ महाराष्ट्र के कोंकण तट पर था, जिसमें रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले आते हैं। हालांकि पार्टी के विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े को इस क्षेत्र में केवल एक विधानसभा सीट ही मिल पाई। इसी दौरान एकनाथ शिंदे ने कई पूर्व शिवसेना नेताओं को अपने पक्ष में खड़ा किया है, जिनमें राजन सालवी और संजय कदम जैसे नेता शामिल हैं। वे पहले उद्धव ठाकरे के कट्टर समर्थक थे।

इसके अलावा, शिंदे ने राज्यभर में कई अन्य नेताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। पूर्व शिवसेना नेता राजुल पटेल ने भी जनवरी में शिंदे की पार्टी जॉइन की। इसके पीछे कारण था कि उन्हें विधानसभा चुनाव में वर्सोवा क्षेत्र से टिकट नहीं मिला था।

बीएमसी चुनाव और शिंदे की रणनीति

शिंदे ने बीएमसी चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मुंबई शहर के संरक्षक मंत्री बनने की कोशिश की ताकि वह स्थानीय नेताओं को योजनाओं के लिए धन आवंटित कर सकें। इस कदम से उन्होंने न केवल अपने समर्थकों को खुश किया बल्कि विपक्षी नेताओं के लिए भी चुनौती पेश की। शिंदे की रणनीति का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे कई नेताओं को तोड़कर अपने साथ जोड़ रहे हैं जो कि शिवसेना (UBT) के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker