संरक्षित इमारतों में स्वतंत्रता दिवस पर फहराया जाएगा तिरंगा

भव्य तरीके आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी, इमारतों की सजावट शुरू
उरई/जालौन,संवाददाता। कालपी में पुरातत्व विभाग नगर के संरक्षित इमारतों पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तिरंगा फहराएगा। जिसके लिए विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है।

यह पहली बार होगा जब संरक्षित इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा। नगर में पुरातत्व विभाग के संरक्षण में झांसी की रानी के मंत्रणा कक्ष की दीवार, ब्रिटिश सेमेट्री, चैरासी गुंबद व लोक निर्माण विभाग के परिसर में बने गुंबद आते हैं।

इन स्थानों को पुरातत्व विभाग द्वारा संवारा गया है। पुरातत्व विभाग के अभियंता मनोज वर्मा ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार संरक्षित स्थलों पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया जाएगा। छात्र छात्राओं के द्वारा देशभक्ति के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

आजादी के बाद यह पहला मौका होगा, जब उक्त संरक्षित स्थलों पर तिरंगा झंडा फहराएगा। जिसके लिए पुरातत्व विभाग ने तैयारियां भी शुरू कर दी है। स्थलों की साफ सफाई का कार्य शुरू हो गया है। रानी लक्ष्मी बाई का मंत्रणा कक्ष व किला…रानी लक्ष्मी बाई का मंत्रणा कक्ष 35 फीट ऊंचा आयताकार भवन है, जिसके ऊपर विशाल गुंबद है। यह चंदेलों के दुर्ग का भग्नावेष है।

यह यमुना किनारे 120 फीट ऊंची सीधी कगार पर स्थित है। इसकी दीवारें नौ फीट मोटी हैं। मराठों के शासन काल में यह राज्यपाल का कोषागार था। सन 1857 ईसवी में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय इस भवन में रानी लक्ष्मी बाई पटना के राजा कुवर सिंह बिठूर के नाना साहब और तात्या टोपे आदि ने मंत्रणा की और रानी की अध्यक्षता में अग्रेजों का सामना किया था।

चैरासी गुंबद…बादशाह लोधी शाह का मकबरा चैरासी गुंबद के नाम से जनश्रुति है कि इस मकबरे का निर्माण कंकड- चूने के पत्थर से खंडों में किया गया है। अपने आकार के कारण विलक्षण है।

यह संपूर्ण भवन शंतरंज के बोर्ड की भांति स्तंभों के माध्यम से विभाजित है। इसमें 84 दरवाजे हैं, जो खोजे नहीं जा सकते हैं। ऐसा लोगों का मानना है। चीनी यात्री व्हेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में इसे बौद्ध विश्वविद्यालय भी बताया था।

ब्रिटिश सिमेट्री..रानी लक्ष्मीबाई जब कालपी आई थी। उसी दौरान 15 मई से 23 मई 1858 तक कालपी में अंग्रेजों से रानी का भीषण युद्ध हुआ था, जिसमें कई अंग्रेजी सैनिक मारे गये थे। जिन्हें इसी ब्रिटिश सिमेट्री में दफनाया गया था, जो रानी की वीरता की गाथा को सुनाते हैं, आज भी अंग्रेजी सैनिकों की कब्र इस सिमेट्री में बनी हुई है।

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