256 गांवों के खेती किसानी का काम एक कानूनगो के सहारे

उरई/जलौन,संवाददाता। 256 गांव की हथबंदी, मेड़बंदी व पत्थर गड्डी का काम एक कानूनगो (राजस्व निरीक्षक) के सहारे है। वही दैवीय आपदा, निर्वाचन व नीलामी का काम भी एक रजिस्टार कानूनगो के सहारे है।

जिससे तहसील क्षेत्र में दस कानूनगो का काम दो कानूनगो से चलाया जा रहा है। इस कारण लोगों के कृषि संबंधी कार्य लटके हैं। बता दें कि वर्ष 1985 में तहसील का दर्जा मिला था।

जिसमें चार ब्लाक रामपुरा, माधौगढ़, कुठौंद (आशिंक) व नदीगांव (आशिंक) के मिलाकर 256 गांव को जोड़ा गया। जिसमें 30 गांव गैर आबाद है।

गांव के ग्रामीणों की हदबंदी, नापजोख, लेखपालों से कागजों का आदान प्रदान का कामकाज ठप है। यही कारण है कि हथबंदी, नापजोख की लगभग पांच सौ फाइल तहसील में रखी धूल खा रही है।

किसान तहसील के चक्कर लगा रहे हैं। एक ही जवाब दिया जाता है कि कानूनगो आने पर ही नापजोख की जाएगी। इसी तरह रजिस्टार कानूनगो की चार जगह है, जिसमें एक कानूनगो राजेंद्र दूरबार पर ही दैवीय आपदा, निर्वाचन, बैनामा व नीलामी का बोझ है।

इसके लिए लोगों के काम महीनों देर से होते हैं। यही नहीं तहसील में 64 लेखपालों की तैनाती है, 40 लेखपालों से काम चलाया जा रहा है। इसी तरह तहसील में 37 अमीनों की जगह मात्र 13 अमीनों से काम चलाया जा रहा है।

जिससे वसूली का लक्ष्य कम हो पाता है। गोपालपुरा निवासी शिवनरेश द्विवेदी, सुल्तान सिंह मढैला का कहना है कि हदबंदी की फाइलें तहसील में रखी महीनों बीत गए हैं। किसानों का कहना है कि हदबंदी पाएगी कि नहीं, यह भी पता नहीं है।

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