नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और एक्सप्रेसवे पर यूपी में सबसे अधिक मौतें, सामने आए ये कारण

देशभर में वर्ष 2021 में हुई कुल सड़क दुर्घटनाओं होने वाली मौतों में यूपी सबसे टॉप है. लापरवाही पूर्वक ड्राइविंग, ओवरटेकिंग, ड्रग्स के प्रभाव, दोपहिया वाहन और एसयूवी कार, जीप से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में भी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मौके हुई हैं. राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो (NCRB) की तरफ से जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में उत्तर प्रदेश ने बाकी सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है.

साल 2021 में लापरवाह ड्राइविंग और ओवरटेकिंग के कारण पूरे देश में 4,299 मौतें हुईं जिसमें उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 11,479 मौतें हुईं. ये कुल मौतों का 26.8 फीसदी है. दूसरे नंबर पर राजस्थान – 10 प्रतिशत (4,299) मौतें हुईं.

ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग के कारण होने वाली मौतों में भी यूपी ने बाकी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. यूपी में सबसे ज्यादा 27.1 प्रतिशत मौतें हुईं. इसके बाद तेलंगाना (11.6 प्रतिशत), झारखंड (11.1 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (9.2 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (6.4 प्रतिशत) मौते हुईं.

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बात यदि शहरी क्षेत्रों में दुर्घटनाओं की करें तो यहां भी यूपी और उसके बाद तमिलनाडु का नंबर आता है. शहरी क्षेत्र, स्कूलों या कॉलेज या अन्य शैक्षणिक संस्थानों के पास सड़क दुर्घटना में जहां यूपी में 24.4 फीसदी मौतें हुईं वहीं तमिलनाडु में 9.4 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में मौते हुई हैं.

दोपहिया वाहनों की दुर्घटना और उससे होने वाली मौतों में यूपी दूसरे नंबर है. इसमें सबसे अधिक मौतें तमिलनाडु और दूसरे नंबर पर 7,429 मौतें साल 2021 में यूपी में हुई हैं.

एसयूवी, कार, जीप दुर्घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में यूपी में (23,531 में से 4,039) मौतें हुई हैं. बसों के कारण घातक हादसे में भी यूपी और उसके बाद तमिलनाडु का नाम आता है.

इस कटेगरी में भी यूपी सबसे ऊपर

राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पैटर्न से पता चला है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश (13.5 फीसदी) में हुई हैं. इसके बाद तमिलनाडु (10 फीसदी) 5,360 मौतें, महाराष्ट्र (7.5 फीसदी) हुई हैं. स्टेट हाईवे पर सड़क दुर्घटनाओं में भी सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (39,040 में से 5,891) हुईंङ. इसके बाद 2021 के दौरान तमिलनाडु (5,067) 13.0 प्रतिशत था.

एक्सप्रेसवे पर सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में 71.2 प्रतिशत (1,356 में से 965) हुईं. इसके बाद हरियाणा (9.3 प्रतिशत), महाराष्ट्र (6.4 प्रतिशत), पंजाब (3.2 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (3.0 प्रतिशत) का योगदान रहा.

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