CM योगी आदित्यनाथ ने विभागों से मांगे OBC कोटे से हुई नियुक्तियों के आंकड़े

दिल्लीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में पिछले 10 साल में OBC कोटे से किसको कितनी नौकरी मिली है, इसकी रिपोर्ट तालाब की है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री की मंगलवार को 83 विभागों के साथ अहम बैठक होने वाली है. दरअसल, योगी सरकार यह आंकड़ा जानना चाहती है कि पिछले 10 सालों में यानी 2010 से 2020 के बीच ओबीसी कोटे से जो भी नियुक्ति हुई उसमें कौन-कौन सी जातियां शामिल हैं. मुख्यमंत्री की तरफ से ओबीसी की उपजातियों का भी विवरण मांगा गया है. आज होने वाली इस बैठक के जरिए 83 विभाग अपने आंकड़े पेश करेंगे.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले 10 साल में दी गई नौकरियों में OBC उपजातियों का विवरण मांगा गया है. आज सभी 83 विभाग मुख्यमंत्री के सामने यह आंकड़ा पेश करेंगे. दरअसल, योगी सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी वर्ग और इसके अंतर्गत आने वाली उपजातियों को पिछले 10 साल में दी गई नौकरियों का आंकड़ा इकठ्ठा कर रही है. सरकार की तरफ से जो आंकड़े मांगे गए हैं, उसमें कुल कितने पद स्वीकृत किए गए, कितने पद भरे गए, ओबीसी के लिए कितने पद निर्धारित थे, ओबीसी वर्ग से कितने पद भरे गए, सामान्य वर्ग में कितने ओबीसी चयनित हुए, कुल भर्ती में कितने ओबीसी चयनित हुए, ओबीसी कोटा पूरा हुआ या नहीं, समूह ग से ख तक ओबीसी उपजातियों के लिहाज से कर्मचारियों की संख्या कितनी है और कितने कार्मिक ओबीसी वर्ग के उपजाति से हैं? मतलब यह है कि आंकड़े ओबीसी वर्ग के नहीं बल्कि उपजातियों के मांगे गए हैं. कोशिश यह भी जानने की है कि ओबीसी वर्ग की उपजातियों को सरकारी नौकरियों में कितना प्रतिनिधित्व मिला है.

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कदम 2024 चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा
योगी सरकार के इस कदम को 2024 के लोकसभा उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. साथ हिज इसका एक सिरा सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट से भी जुड़ता है, जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया. इस मुद्दे को पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर और मौजूदा सरकार में मंत्री संजय निषाद भी उठाते रहे हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महासचिव अरुण राजभर ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की चार बार सरकार रही है. लेकिन इस दौरान ओबीसी वर्ग के उपजातियों चाहे वह मल्लाह, बिंद, शाक्य, अर्कवंशी, केवट, राजभर, लोहार, बाल या प्रजापति हों सामाजिक स्तर पर नौकरियों में इनकी जीरो परसेंट भागीदारी है. अरुण राजभर ने कहा कि यही वजह है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिपण्णी की थी आबादी से ज्यादा आप हिस्सेदारी ले रहे हैं.

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